गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

मुश्किल से संभाला इस बेकाबू दिल को (=>

धड़कन थाम बैठा था आज
जब जब वो आये थे मेरे पास
मुश्किल से संभाला इस बेकाबू दिल को

वो अठखेलियाँ खेलता रहा मेरे जिस्म और जान से
में बूत सा बना रहा, अनजान था अपनी ही पहचान से
उनके थिरकते होंठो  की कशिश से
मुश्किल से संभाला इस बेकाबू दिल को

सांस तो उनकी भी उखड़ी होगी
या मेरा ही सीना गले तक आ गया
उसके बिखरें बालो का बादल
मेरे नैना को बरसा गया
मुश्किल से संभाला इस बेकाबू दिल को

मेरी मासूमियत तो देखो
दिल की बातें हंसी में टाल जाता हूँ
वो समझते है हम समझते नहीं
वो क्या जाने जज्बातों की बिसात
मुश्किल से संभाला इस बेकाबू दिल को

#हो सके तो रब्बा ये दौर फिर ना आये
मेरा संभला हुआ दिल कहीं गिर ना जाए
में कोई सन्यासी नहीं, जो हर वार तोड़ दूं
हुस्न के निशाने पर, अक्स ना छोड़ दूं

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कड़वे शब्द बोलता हूँ