बुधवार, 22 जून 2016

दो उदास दिल

उदास था मन
और ख़ाली भी था
जीवन भी बेरंग था
और लम्हें भी उदास

फिर

एक और खाली मन मिला
दोनों के खालीपन को
कोई नया जीवन मिला
जी उठा वो हर उदास लम्हा

मन चंचल भी खिल उठा
साँसों को धड़कनें की वजह मिली
आँखें भी उनके नूर से खिली
तक़दीर भी आज ज़िन्दगी से मिली

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जी कर वो लम्हा कोई भी उदास ना था
मन को ऐसी ख़ुशी मिलेगी विश्वास ना था
सकूँ के इन लम्हों को सहेजना तुम भी
अक्सर मीठी यादें ही जीवन को खूबसूरत बनाती है

कड़वे शब्द बोलता हूँ