शुक्रवार, 24 अप्रैल 2015

सुबह जो आई , संग नए उद्देशय है लाई

सुबह जो आई , संग नए उद्देशय है लाई
हर कली, मंद मंद है मुस्काई
फूलो ने भी पलकें छपकाइ

सुबह जो आई , संग नए उद्देशय है लाई
हर जीव, निकला दाना पानी कमाने को
कुछ सपनो को अपना बनाने को

सुबह जो आई , संग नए उद्देशय है लाई
मोहब्बत की छटा है बिखर आई
फसलों ने भी ली है अंगड़ाई

सुबह जो आई , संग नए उद्देशय है लाई
हर जीवन ने अपनी गाडी दौड़ाई
किसी की आलस तो किसी की तेजी लाइ
सुबह जो आई , संग नए उद्देशय है लाई
सुबह जो आई , संग नए उद्देशय है लाई

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