सोमवार, 13 अप्रैल 2015

हस्पताल:-जिन्दा लाशों का महल

अगर आप समझते है की दुनिया में कोई दुःख दर्द नहीं है। सब स्वर्ग से संसार में ख़ुशी ख़ुशी रहते है तो आप एक बार हस्पताल देख लीजिये आप का नजरिया पूरी तरह से बदल जायेगा। यहाँ इतने दुखी है लोग आप को दुःख ही संसार नजर आएगा। हर कोई नयी पीड़ा नए ज़ख्म से परेशान है। एक दो दिन से नहीं बरसो पुराने मर्ज यहाँ मिल जायेंगे। हर उम्र हर रंग हर धर्म का मिल जायेगा।
आज बैसाखी का त्यौहार है लोग नयी फसल की खुशिया मना रहे है और ये लोग पुराने दर्द से कराह रहे है। दुःख में जीने का नजरिया बदलने के सिवा आप कोई मदद नहीं कर सकते। आप सिर्फ मूक बने रह देख सकते है शायद उस से ज्यादा दर्द आप महसूस कर रहे हो। पर आप की पीड़ा कोई नहीं जान सकता।
अभी तो 11 बजे है जाने पूरा दिन कौन से रंग दिखायेगा।।

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