शनिवार, 25 अप्रैल 2015

कागज की तरह मोड़ जाते हो कुछ लिखते हो और छोड़ जाते हो

कुछ लिखते हो और छोड़ जाते हो
कागज की तरह मोड़ जाते हो

संभाले नहीं थे, जो सपने संग थे संजॉय
हाथ में हाथ लिए बढ़ने से पहले
कागज की तरह मोड़ जाते हो
कुछ लिखते हो और छोड़ जाते हो

आंसुओ से भरी थी मेरी ज़िन्दगी
तुम जो दो पल की खुशिया लेकर आये
खुशिया जीने से पहले
कागज की तरह मोड़ जाते हो
कुछ लिखते हो और छोड़ जाते हो

अनजाने से हुयी गलती तो ना थी में तुम्हारी
जो भी तय थी संग की बातें थी सारी
बातों के समझने से पहले
कागज की तरह मोड़ जाते हो
कुछ लिखते हो और छोड़ जाते हो

इतना बेखबर ना बन ए ज़ालिम
ज़िन्दगी अभी बाकी है मेरी
नई शुरुवात करने से पहले
कागज की तरह मोड़ जाते हो
कुछ लिखते हो और छोड़ जाते हो

#सांसो से बांधे थे जो लम्हें
यूँ कैसे तुम तोड़ जाओगे
मुझे से तो जी चुराया तो सही
रब्ब से कैसे नजरें मिलाओगे
एक दिन फिर तड़पते हुए
खुद की नजरों से भी गिर जाओगे

1 टिप्पणी:

कड़वे शब्द बोलता हूँ