शनिवार, 4 अप्रैल 2015

रॉय:- एक लेखक की कहानी

ऐसा शायद पहली बार हुआ फ़िल्म पूरी नहीं देखि और में इस बारे लिखने लगा। क्योंकि जिस विषय पर ये कहानी है वो आप शायद ही समझे। हर कोई इसे एक लव स्टोरी की तरह देखेगा। पर उस से कुछ अलग है।

जो शख्स टूटा हुआ होता है वो सदा इस तरह का व्यवहार करता है यकीं मानिए मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं की में इस फ़िल्म का अंत देख सकूँ।।

शायद ये दुनिया का ही सच है और हर कोई इस से भागता है।।

scene# दूर जाने की नसीहत दे जाते हो मेरे सीने से गुजर कर

कितना आसान है नसीहत देकर चले जाना पर इंसान बनाया उस कुदरत ने और उम्मीद करते है की भावनाओ को काबू रखो और आरजू को दफ़न कर दो। यानि ज़िन्दगी बेजुबान जानवर की तरह गुजार दो।

सदियो सी लंबी दूरी लग रही इस कहानी की मुझे, हर किरदार मेरी तक़दीर से खेल रहा हो जैसे।

#कोई चुराता है ताज तो कोई तिजोरी
   मेरी जींद/दिल कौन सा खजाना था
   जो तूने अपना बना लिया

ये ख़ामोशी जो अक्सर मेरे हिस्से आकर मुझे किसी नए सफ़र पर ले जाती है वो शायद आज किसी और के हिस्से भी आ रही है

पिक्चर तो अभी बाक़ी , मेरे होंसले मूक गए

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कड़वे शब्द बोलता हूँ