गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

Khap, Women & society

आज एक प्रोग्राम देखा NDTV पर दूसरी बार , एंकर ने एक बात  जो मुझे आधारहीन लगी . उन्होंने कहा समाज कौन  है मेरी व्यक्तिगत जीवन  में दखल देने वाला . समाज कौन होता है बंदिशे लगाने वाला।

में ये नहीं कहता की मेरे तथ्य ही ठीक है मेरे में अपने विचार जरूर पेश करना चाहूँगा
सब से पहले समाज से दूरियां बनाने का नुक्सान ये है की हम कुछ बुरइयो के शिकार हो जाते है।


जैसे की किसी भी एरिया में परिवारों के साथ वाले घरो में कोई लिव इन रिलेशन वाले रहते है तो परिवारों को इस बात पर ऐतराज़ होता है। और ये वो परिवार होते है जो अच्छे से शिक्षित और उच्च पदों पर या आचे व्यपारी होते है। उनको डर होता है की उनके बच्चो पर इसका  बुरा असर पड़ेगा लेकिन हमारे न्यायलय का नजरिया / फैसला इस से विपरीत होगा


और ये सोच जिस में की समाज को हमारे जीवन में दखल देने का हक नहीं का सब से बड़ा नुक्सान देखने को मिलता है जहाँ इस विचारधारा के लोग रहते है जिनकी वजह से अगर पास वाले घर में कोई झगडा / चोरी या कोई अन्य अपराधिक घटना हो रही हो तो कोई नहीं जाता क्या ये ही है इंसानियत . जब की गाँव व् अन्य जगह जहाँ लोग आपस में एक दुसरे की जिंदगियो में दखल देते है वहां ये घटनाये बहुत ही कम है मेरी तो ये ही राय है उन एंकर से की वो 100 करोड़ से अधिक लोग को अपनी बात पहुंचा रहे है कही उनके इन विचारो से समाज टूट जाये और इस तनाव के दौर में और अकेले हो जाये .

और बात हुयी थी औरतो के हक की तो शायद दुनिया में हम से ज्यादा सम्मान भी औरतो का कोई नहीं करता एक मेरे देश ही है जिसके समाज ने औरत को देवी माना है

और में खप का हिमायती नहीं हूँ और ना विरोधी में , हर उस बात का हिमायती हूँ जो इंसानियत या हमारी आने वाली नस्लों को अमन और ख़ुशी से भरी विरासत दे।

मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

अकेलापन

zindgi में एक khamoshi aur udaasi chaayi huyi है, jane kyon ander से कुछ toot raha है


aisa lagta है की में arsh से farsh की aur bad raha हूँ , जीवन के sare raste खो से गए हो, एक धुंध है जो dheere dheere  meri मंजिलों पर parda daal रही है.

sare milkar jaise मुझे mitti में milana chahte हो, aise waqt पर koi एक भी इंसान नहीं जो मुझे सहारा दे सके, मेरे जीवन की हमेशा ही ये त्रासदी रही है की मुझे कभी किसी ने सहारा नहीं दिया. रेंग रेंग कर मेने एक chothai जीवन gujar दिया aaj की umar dekhe तो लगभग आधा जीवन ही sangharsh की bhent chad gaya. haan कभी कभी कुछ thandi hawa के jhonke aaye पर un jhonko के baad , us से kahi jyada jhulsana pada waqt की tapis में. maloom नहीं kab मुझे wo sukh milega jis के लिए में जीता हूँ हर din एक कड़वा लम्हा पीता हूँ ये soch की is रात की भी सुबह आएगी मुझे भी कुछ bunde जीने की कला सिखाएगी.

लाचारी

kudrat ne mera aisa majak bana diya na jeene mein naa marne mein,


marne ki sochta hoon to wo chehre yaad aa jate hai jinke liye jeevan mein kuch nahi kiya aur jeene ki sochta hoon to har pal koi na koi meri lachaari ka majak udata mil jata hai aisa dard akhir kab tak jhelna padega. meri galti kya hai ki mein kaminepan ki zindgi nahi g sakta mene bahut koshish ki bura bhi banane ki par jane kaun c takat mujhe mana kar deti hai. rok deti hai mujhe. berojgaari ya bekkaari ne mujhe aisa bana diya ki mujhe kuch najar nahi aata. kash ye akal 2003 mein aa jati jab jetking se course kiya tha tab job kar leta to aaj kisi ke muh ko takna aur kisi ki jali kati nahi sunani padti wo log bahut ache hote hai jo parivaar ki sunte hi nahi. jinki dhun baspaisa kamana hoti hai akhir mein unko hi duniya salam karti hai. mujhe shakti do bhagwaan aur sadbudhi taaki mein in kathin daur ko aasaani se paar kar sakoon,

कड़वे शब्द बोलता हूँ