गुरुवार, 9 अप्रैल 2015

मौका मौका मौका

हर कोई इस मौके की तालाश में रहता है कि कब कैसे किस का तमाशा बनाया जा सके। ये किसी एक की समस्या नहीं अधिकतर भारतीयो को दुसरो का मजाक बनाने में ख़ुशी मिलती है जब खुद पर बात आये तब उन्हें सारी दुनिया बुरी नजर आती है।

अब आजकल सारा दफ्तर जाने क्यों मेरे पीछे पड़ा हुआ है सारा दिन अनर्गल बातें बनाते है मेरे बारे में, जैसे मेने उन लोगो का कुछ चुरा लिया हो। ऐसा हाल जो लोग कल तक आप के शुभचिंतक थे आज आप को हर वक़्त ताने मारते नजर आएंगे।

बहुत कोशिश करता हूँ सब की बातों को अनसुना करने की आखिर दिल तो दिल है कहीं ना कहीं तो टीस उठ ही जाती है। मेरी सबसे बड़ी खामी जल्दी विश्वास करना है और आजकल ज़माने में कोई विश्वास के लायक रहा ही ना हो। मेरा तो इस जन्म में कुछ नहीं हो सकता, ना में अपनी प्रकृति बदल सकता हूँ और ना दुनिया को।

सिवाए यूँ लिख कर जहर निकालने के सिवा कोई विक्लप नहीं बचता।

मेरी दफ्तर के सभी दोस्तों से विनती है, मेरी तरफ यूँ गुनाह भरी नजरो से ना देखे में कोई गुनहगार नहीं।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कड़वे शब्द बोलता हूँ