शनिवार, 28 सितंबर 2013

सच्चा प्यार

आज का नहीं सदियो से है ये समाज में एक अनोखा विषय जिस से समाज में अपनाता तो कोई नहीं पर उम्र के एक पड़ाव सब के जीवन में आता है जब उसके आगे पीछे प्यार की महक उठती है उसे फिजा का हर रंग गुलाब सा लगता है उसको लगता है वो ही है बस और उसका प्यार बाकि सब बेकार

पर सवाल उठता है की इसका फैसला कौन करे जो प्यार उसे हुआ है वो ही सच्चा है आखिर सच्चे प्यार की परिभाषा क्या है । मुझे तो मालूम नहीं पर इतना मालूम है ।

बरसो से जिसने (परिवार)हमारे सुख दुःख का खयाल रखा उनको छोड़ प्यार पाना तो नहीं
किसी दुसरे से की खुशिया छीन कर अपना घर बसना तो सच्चा प्यार नहीं
इतनी हद से गुजर जाना की पाने के लिए किसी की जान लेना भी प्यार नहीं
अपनी मोहब्बत को किसी पर थोप देना भी प्यार नहीं

और समाज और परिवार भी जिंदगी भर सब देने के दावे करते है पर प्यार की बारी आये तो दुश्मन बन जाते है वो भो सच्चा प्यार नहीं

त्याग तपस्या और इंसानियत की भावना को मार कर कुछ भी करना सच्चा प्यार नहीं बाकी सब व्यापार सिर्फ इंसानियत सच्चा प्यार

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

जब कभी दिन ढल जाये

अक्सर हम थोड़ी सी परेशानिय देख अपना आप खो कर दुसरो पर ऊँगली करने लग जाते है पर ये अशोभनीय है
उतार चड़ाव धुप छाँव सुबह शाम जीवन का अभिन्न हिस्सा है
कभी दिन कभी रात कभी झगडा कभी बात
कभी जुदाई कभी साथ ये सब नहीं होगा तो जीवन नीरस और बेमानी हो जायेगा सब अच्छा होगा तो आप को दर्द का एहसास नहीं होगा और न ख़ुशी के मतलब
जिसे फ़ैल होने का डर होता है पास होने पर उसे ख़ुशी मिलती है न की जो पहले निश्चिन्त था उसे
अँधेरे अक्सर आते है जीवन में पर तू घबराना नहीं
ये मोड़ है अक्सर पार करने पर नै सड़क का निर्माण करते है

में दुःख और सुख दोनों की चरम सीमा से गुजर चूका हूँ और दोनों को भरपूर जीता हूँ ताकि दोनों के स्वाद में फरक न पड़े और मेरी आप से भी विनती है की जीवन को सरल बनाए कठिनता लाने का काम दुसरो पर छोड़ दीजिये जो हमेशा आप के रस्ते में रोड़े डालने की फिराक में रहते है

रविवार, 22 सितंबर 2013

मेरी और तेरी

मेरी भावनाओ की कद्र करना
कभी मेरे सपनो में रंग भरना
कभी मेरा साया बनना
कभी मेरा हमराज
कभी न हो नाराज
तू मेरा आज
तुझ से मेरी आवाज
तुझ से मेरी साँसे
तुझ से मेरा सरमाया
तुझ से मोह माया
तुझ को ही बसाया
तुझ ने ही रुलाया
तेरे आंसू मेरा दर्द
तेरा जखम मेरा लहू
तेरी सांस मेरा जीवन
तेरी बातें मेरा सकून
तेरी ख़ामोशी मेरी बैचैनी
तेरी ख़ुशी मेरी जन्नत
तेरी चाहत मेरी दुआ
तेरे सपने मेरी कुर्बानी
तेरा इन्तजार मेरी जवानी
तेरा इनकार मेरी कहानी

होश संभालो मेरे यारो
किसी की मोहब्बत के मारो
समझो वक़्त की नजाकत
इश्क की नहीं हुस्न की है ताकत
जलाता इश्क नहीं हुस्न है
इसकी गर्मी में ही घुटन है
प्यार की ठंडी हवा में लगती है मोहक
नशा उतरने पर फ़ना कर देती

फूलो की महक अक्सर बहकाती है
पर पेट की आग नहीं बुझाती है

शनिवार, 21 सितंबर 2013

अँधेरे की और

जब भी हम जीवन में सफ़ल नहीं हो पाते तो हमे सब तरफ अँधेरा नजर आता है ऐसे में निराशावादी सोच के कारण हमारा हर फैसला हमे अँधेरे की और धकेल देता है

समस्या इतनी नहीं है आप के आसपास के लोग भी आप को हिम्मत देने की बजाये तोड़ने का काम करते है अक्सर ऐसे मौको पर उन बातों से ज्यादा निराशा होती है जिनसे जीवन में कोई सरोकार भी नहीं होता
जैसे आप एक रसोइये है और आप को लगने लगता है की आप को गाली चलानी नहीं आती जिन का आपस में दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं वो बातें कचोटने लगती है आप का दिमाग ख़राब कर देती है
अब आप कहेंगे की इन सब बातो से बचने का तरीका क्या है तरीका बहुत मुश्किल है क्यों की उस तरीके में समाज द्वारा आप को लापरवाह वगेरे वगेरे तमगे दे दिए जाते है की आप ने इतना सा भी ध्यान दिया तो भी आप की हार है
तो हम बात कर रहे थे की अँधेरे से कैसे बचा जाये सिर्फ रौशनी जल कर विश्वास की रौशनी भरोसे की रौशनी अपने अंदर के जूनून की रौशनी जो बुरा हो रहा है उस पर शयन न देकर ये सोचे की आप का नंबर अभी नहीं आया आप का भी वक़्त आएगा आप ने बस करम करते रहना है सफलता के लिए कार्य करना अति आवश्यक है अगर आप को बोरियत हो थोडा सा ध्यान लगाये उन बातो नें जिनसे आप को सची ख़ुशी मिलती हो जैसे किसी को टेलीविज़न देखना किसी को इन्टरनेट करना या और भी कोई अची या बुरी आदत जिस से दिमाग को सकूं मिले
बस मुझे इतना आता था आप के साथ बांटा
नमस्ते
आप का विकास सिंह चोपड़ा

कड़वे शब्द बोलता हूँ