शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

ट्वीट्स कुछ

आहट हो गर तेरे सीने में मेरी सिसकियों की
एक दिया किसी अँधेरे आशियाँ में जला आना
@sk_lnsdwn @obgobg @tarankbrar @pooja_punjabi @albellee
++++++++++++++++++++++++++++++

@soninikita
गम देने वाला अक्सर ख़ास होता है
उसके जहन में आने से
हर दूसरा सबक ख़ाक होता है
++++++++++++++++++++
@manojjain998 @sk_lnsdwn
जब से चेहरे बदले तुम्हारे दिल में
तब से मेरे ख़त की खुशबू
और तेरी दाद के मायने बदल गए
####################

इश्क़ कर मुझ से
ख़ुदा की इबादत होगी
बनाया मुझे भी है उसने
सिर्फ तेरे लिए
||||||||||||||||||||||||||||||

@sk_lnsdwn
अनसुनी करता हूँ
झगडे से डरता हूँ
चुप होने पर लड़ता हूँ
तेरी ख़ामोशी से मरता हूँ
%%%%%%%%%%%%

@RACHNAA__
एक ही रचियता की रचना है हम
जाने क्यों सारे रंग तुम पर ही उड़ेल दिए @paritweetz @sk_lnsdwn @NaughtyNoops @vSeXenaV @komal_bhatiya

^^^^^^^^^^^^^^^^^-^^^^^^^^^^^^^^^
@komal_bhatiya
मेरी शायरी
तेरे नाम दिल का पैगाम है
महबूब के मारे तुम्हारे दिल को
मोहब्बत भरे दिल का एक जाम है
~~~~~~~~~~~~~~~~
दर्द की शाम को
ख़ुशी का इनाम
इश्क़ के मारे को
महबूब का सलाम
@paritweetz @sk_lnsdwn @AD______lI_____ @DikshaTripathi7 @aarohi_333 @obgobg
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

तोड़ दो सारे बंधन
जब निभाने का दम ना हो
~~~~~~~~~~~~~

सुर्ख होंठ से दो जाम पिला दें
कड़वी जुबाँ की तो अब आदत सी हो गयी है
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रोये बहुत उन्हें याद करके
अब सिर्फ ना याद आने
की फ़रियाद करते है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
पुराने है ख्यालात मेरे
जरा सी मुस्कराहट ही जान ले लेती है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मशहूर बहुत है वो महफ़िलो में
मुझ से कद्रदान तन्हाइयो में मिलते है
~~~~~~~~~~~~~~~~~
नशे में चूर हूँ
मगर मशहूर हूँ
नफ़रत से ही सही
मगर भरपूर हूँ
~~~~~~~~~

मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

ऐसा है मेरा किरदार

समझ ना सका जिसे आज तक कोई
ऐसा है मेरा किरदार

सख्त हो जाता है पत्थर सा हल्की चोट से
पिघल जाता है पल में तेरे मीठे बोल से

ऐसा है मेरा किरदार

जकड दिया गया जब भी उड़ना चाहा
समाज ने झूठे रिश्तों नातो से बांधा मुझे
में तो हर वक़्त विश्वास में मारा गया
मेरा तो वक़्त भी उधारा ही बीत गया

ऐसा है मेरा किरदार

जब कभी बयाँ किया दिल की हसरतो को
अरमान मेरा टूट गया जीवन की नेकियों पे
मेरे ही हिस्से क्यों आया शराफत का चोला
नटखट है जब दुनिया सारी क्यों हूँ में भोला

ऐसा है मेरा किरदार

प्यार को जब भी पाना चाहा
नफरतों ने आकर है घेरा
मेरे फूल से दिल पर
कांटो ने जमाया डेरा

ऐसा है किरदार मेरा

जो रास्ते कभी खत्म ना हो
उन राहों का राही मुझे है चुना
मंजिल तो दूर, राहों ने ही लूट लिया

ऐसा है मेरा किरदार

जिस के भी लिए लूटाया था जीवन अपना
सब ने वक़्त बे वक़्त दामन छुड़ा लिया अपना
सजाया करते थे महफ़िल जो तोड़ गए सपना
ऐसा है मेरा किरदार

अब हर रिश्ता झूठा लगता है इस संसार का
नफरत से भरे दिल में ना रहा कोई कोना प्यार का
जीवन नाम इंसानियत का, ना किसी धर्म के ठेकेदार का

ऐसा है मेरा किरदार

जोर जबरदस्ती होती जहाँ , क्या काम है प्यार का
हम तो पानी हो गए जहाँ, संचार हो मधुर व्यवहार का
हो सके तो मतलब समझना मेरे इनकार का
मेरे जीवन में कोई साथ नहीं किसी के प्यार का

ऐसा है मेरा किरदार

#
क़िरदार कड़वे का होता है कुछ ऐसा
खुद दर्द में मर जाएगा पर तेरे दुःख हर लाएगा

इन्तजार तेरे जवाब का


बड़ा पूछा इस दिल ने
मगर बढ़ता ही रहा
इन्तजार तेरे जवाब का

अब तो मौसम भी बदल सा गया
उनके मिजाज का जब से हुआ है
इन्तजार तेरे जवाब का

हो सके कुछ संवेदना तो दिखाना
मासूम के दिल के लिए बहुत हो गया
इन्तजार तेरे जवाब का

अब तो कुछ कदम बढे उसके खवाब का
कहीं ज़िन्दगी कट जाए पर खत्म ना हो
इन्तजार तेरे जवाब का

#यूँ किसी को इन्तजार करवाते नहीं
सपने बुनने की ना हो क़ाबलियत
तो किसी को ख्वाबों की जन्नत ले जाते नहीं||

नोट:- सदैव टिप्पणी कीजिये और नए लेख का आनंद लीजिये।। टिप्पणी करते रहिए

बेताबी सुनी अंखियो की

एक नजर देखा तो मालूम हुयी
बेताबी सुनी अंखियो की

वो रिश्ता बुनती थी सुनी अंखियो से
में ख़ामोशी से हवा बन गुजर जाता था
उसको तलाश थी एक किनारे की
में लहरो संग खो जाया करता था

एक नजर देखा तो मालूम हुयी
बेताबी सुनी अंखियो की

उसकी बेताबी ने जब भी मुझे रोकना चाहा
मदहोशी का आलम मुझ पर छाया करता था
में होंसला भी कर जाता मगर
मेरा मासूम दिल तो डरता था

एक नजर देखा  तो मालूम हुयी
बेताबी सुनी अंखियो की

उसकी गलियो से गुजरते वक़्त मेरा भी वक़्त ठहर जाता था
वो तो हया की मूरत बन कर निकल जाता था
मेरे तो दिल पिघल कर मीठी चुभन टीस बन उठती थी
उसके आशियाने पर मेरी तो ज़िन्दगी रूकती थी

एक नजर देखा तो मालूम हुयी
बेताबी सुनी अंखियो की

बेशक उसकी सुनी आँखें झुकती थी
पर दिल की कहानी कहाँ छुपती थी
जब भी मेरी नजर उन पर पड़ती थी
उनकी भी धड़कन तो रूकती थी

एक नजर देखा तो मालूम हुयी
बेताबी सुनी अंखियो की

# ना सुनी हुयी होती बात अपनी सखियो की
आज कोई कहानी ना कहता इन सुनी अंखियो की

नोट:- विनम्र निवेदन है अच्छा हो या बुरा लेख। पर आप की एक टिपण्णी से लेखक को और बेहतर सटीक लिखने की प्रेरणा मिलती है यहाँ पर अपनी टिपण्णी अवशय छोड़े।।


सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

ट्वीट

ना रिश्ता निभाता है
ना छोड़ कर जाता है
बड़ा बेदर्दी है वो
लोगो की सुन
मेरा सीना जलाता है @paritweetz @DikshaTripathi7 @obgobg @NeelamSinha16
←↑→

@DikshaTripathi7
जो हुआ वो तो निभा जरा
पढ़ाई भी हो जाती
तुझ से निभ ना पाती

←↑↓→

तेरे मेरे दरमियाँ फासले ज्यों कम हुए
चारो दिशाओ ने कानाफूसी कर ली @DikshaTripathi7 @crazykeyare01 @obgobg @paritweetz @sk_lnsdwn

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शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

ज्योति मेरे मन की भी बुझने ना पाये

कोई मेरे भी जज्बात गर जो समझ जाए
ज्योति मेरे मन की भी बुझने न पाये

टूटे हुए कांच के खिलोने को
कोई जौहरी हीरे सा चमक लाये
ज्योति मेरे मन की भी बुझने ना पाये

चलता हूँ अक्सर कँटीली राहों पर
मुझे भी कोई फूलो की सेज दिखाए
ज्योति मेरे मन की भी बुझने ना पाये

सांस मेरी बेशक दो चार कम हो जाए
ज़िन्दगी के सारे रंज भी खो जाए
्योति मेरे मन की भी बुझने ना पाये

मुखोटों का समाज

हर तरफ नजर आते है अपने यहाँ
मगर कोई अहसास करा जाता पराये होने का
मासूम दिल को भी बहाना हो जाता रोने का

क्या बिगाड़ा था इस जग का
जो ये हाल किया मेरे खिलोने का
बहुत से देखे पराये अपनों के मुखोटों में
अब तो अपने भी पराये नजर आने लगे है
मुखोटे भी अपनी हंसी लगाने लगे है

जग भाया ना मझे रब्ब तेरा की मुझे जग का होना नहीं आया
बहुत मिला जग से ढूंढ ना सका अपना और पराया
मुखोटों के बीच रहकर खुद का चेहरा भी गंवाया

रोज एक मुखोटा नया नजर आता है
पुराने को झूठा जता खुद को नया बताता है
अगली रोज वो भी धोखेबाज़ कहलाता है

रिश्तों में भी घुल गया जहर मुखोटों का
छोटा बड़ा भाई बताते है
फिर पीठ पीछे खंजर चलाते है

चक्रव्यूह से भर गया
सादा जीवन भी संसार का
टुकड़ो में बाँट दिया है जो अब
हिस्सा ना मिला अपनों के प्यार का

कोई मेरा मुखोटा भी हटा दे
मुझे भी जग का हिस्सा बना दे
नही तो ना होने का मुखोटा ही लगा दे

बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

कुछ ट्वीट

@_Philophobic_
आवाज आई थी मेरे दिल को दस्तक दी
पूछना चाहा तो रिश्ता पूछ बैठा

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@its_optimistic
अलफ़ाज़ हो गर डूबे इश्क़ में
दिए मोहब्बत के जलते है नफरत के नहीं
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@DikshaTripathi7
एक लेखक की साँसे उसकी लेखनी
कह कर लिखना छोड़ दो
कम्बखत ने साँसे ही मांग ली  @crazykeyare01 @paritweetz @pooja_punjabi

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@DikshaTripathi7
सजदा करते है हम तो दिलबर के
दुनिया की तक़लीफ़ का फ़िक्र कौन करे
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

कलेजा जलाये फिरता हूँ
तुम क्यों शिकायत करते हो
जब भी मेरी बात करते हो
यूँ ही आहें भरते हो
@crazykeyare01 @DikshaTripathi7 @vSeXenaV

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@vSeXenaV
कोई सकूँ का सामान मुझे भी दिल दो
तेरे दिए ज़ख्मो को मरहम भी जरूरी है

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@vSeXenaV
जमाने का दर्द तुम भी खूब पहचानते हो
हम तो शब्दों से खेल लेते है
तुम तो कलेजे के राज जानते हो

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@nehaahmed1989
ख्याल होता गर तुझे मेरा
यूँ गैरो सा करम ना जताते

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मीठे का दिल हुआ नहीं की
मेरे दोस्त मुझे छोड़ जाते है
@obgobg @paritweetz @crazykeyare01 @DikshaTripathi7 @rakz_27  @_Philophobic_ @sk_lnsdwn

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बंद हो आँखें मेरी
ना तू इन्तजार कर
मुझे सपनो में भी
तू ही नजर आता है
@NeelamSinha16 @crazykeyare01 @DikshaTripathi7 @_Philophobic_
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कोई जागीर नहीं सूरत तुम्हारी
कुछ अरसे बाद सीरत ही काम आती है

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क्यों मेरी ख़ामोशी पर सवाल उठाते हो
जब चीखों से मेरा सीना तुम जलाते हो
@paritweetz @crazykeyare01 @DikshaTripathi7 @sk_lnsdwn @pooja_punjabi

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कोई सुबह नहीं जिसमे गम ना हो
हर सवेरा नयी फ़िक्र के साथ आता है
सुप्रभात।। @sk_lnsdwn @paritweetz @Ag______09____ @DikshaTripathi7 @obgobg
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

@sk_lnsdwn
तन्हाई फिर डस जाती है
अकेले पाते ही निगल जाती है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
@Roshnibabe आवारा समझ बैठे वो
जब उनकी खूबसूरती निहार रहे थे
वो जीतने के अहम् में तिलमिला रहे थे
हम ज़िन्दगी हार रहे थे   @DikshaTripathi7

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ ऐसा कमाल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

मेरे चंद अपनों को
कुछ और दूर है किया

जिनके पलकों के आंसूं
मोती बन जाया करते थे
उन नैनो से बेगाना कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

खिलता था चेहरा जिनका
मुझ से मिलकर
आज उसके जी का जंजाल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

चूमते थे जो मेरे शब्दों को अपने होंठो से
आज उसने उन होंठो से
मेरा ही शब्दों को  घायल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

चेहरे पर छायी रहती थी शबनम सी हंसी
आज उस चेहरे को लाल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

जिनके जिक्र से दिल खिल जाया करते थे
आज उनके जिक्र ने
महफ़िल ए गम का माहौल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

मेरे महबूब के जिस मांग को लाल भरना था
उसके हाथ को खुद के खून से लाल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

सदियो की कसमें खाने वाले सनम को
एक पल में
पल पल का दुश्मन कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

जिनके होंठ हंसी से भरे थे
आज गम से बेहाल कर दिया

मेरी ख़ामोशी ने आज कुछ
ऐसा कमाल कर दिया

मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

कुछ ट्वीट्स

क्यों वो इतना शोर करता है
दिल सह नहीं पाता
में झील् का पानी हूँ
उस जैसा समुन्दर का सैलाब नहीं

^O^(^^)

यूँ संग बिताए लम्हे
जग को सुनाते नहीं
शाम है अन्धकार का नाम
और अंधेरो को उजाला दिखाते नहीं

मेरे लिखने का इन्तजार करता है २
कुछ कहते ही चुप हो जाता है
जाने कौन सा दर्द उसे खाता है

इतना बेगैरत नहीं मीडिया हमारा
चंद सिक्को में बिक जाए
बहुत सिक्के लगते है खरीदने को

इस कदर सुलझ सकती है ज़िन्दगी
ना फाके की चिन्ता हो
ना दाने की

ना टूटे तेरे मन की आस
आज नहीं तो कल होगा तेरे पास
बेशक कोई नहीं ख़ास
है तो तेरा अपना ये विकास

सांस रुकी हो जिसकी
उसे फिकर हो किसकी

फ़ासले इंचों में दरमियाँ दीवानो के
दूरियाँ मीलों सी फैली क्यों

कड़वी होती गर जुबान
शक्कर कुछ कमाल कर पाती
कड़वा जो दिल है तुम्हारा
बस चाहता मोहब्बत का सहारा

कर दुआ
कल मेरा कहर
किसी के लिए जहर ना बने

मुझे फ़िक्र तेरी नहीं
उस दिल की है
जो तुम्हारे यहाँ चोरी हुआ था

जमीन खिसका देते है
कुछ अपने लोग
में हर रोज नया अपना तलाशता हूँ

चाकरी करता हूँ किसी सेठ की
फ़िक्र है पापी पेट की ना की भेंट की

बरसा कल जो बदरा
धूल गया मिटटी का भी नखरा

बस कर मेरे दुश्मन
अब दोस्तो की दगा की बारी है

परिंदा हूँ में जिस जहाँ का
उड़ने से पहले पर क़तर जाते है

शनिवार, 7 फ़रवरी 2015

कहाँ ढूँढू सकूँ के दो पल

हर लम्हा
मुझे कचोटता है
रह रह कर
ज़ख्म कुरेदता है
कहाँ ढूँढू सकूँ के दो पल

मरता हूँ जिसके लिए
करता हूँ किसके लिए
फिर भी जलालत के
आंसू भर भर झरता हूँ
कहाँ ढूँढू सकूँ के दो पल

खुद की आग जब उठती
तपिश औरो को भी होती होगी
में तो जल ही जाता हूँ
झुलसता तो वो भी होगा
कहाँ ढूँढू सकूँ के दो पल

कोई मुझे सीने से उतार दे
या मेरा सीना खुद पे वार दे
थोड़ी तो ख़ुशी उधार दे
मुझे भी कोई प्यार दें
कहाँ ढूँढू सकूँ के दो पल

जब मुश्किल में हो कल
और सीने में हो हलचल

रविवार, 1 फ़रवरी 2015

चुनिंदा ट्वीट्स

बचपन सा खेलते आज भी बहुत है
गर हम अपने दिल और दिमाग से
कम्बखत अक्सर दिमाग जीत जाता है

बचपन के खिलोनो से रोना अच्छा था
कोई कोना नहीं ढूँढ़ते थे गम छुपाने को

कोई तो हँसता है मेरे दर्द पे
इसी सकूँ से दर्द सह लेते है

तुम्हे मजा आता है
अगले का दिल जला जाता है

तुम यूँ जो आते हो
हमे जलाते हो
और फिर जले पर नमक लगा
थोडा मुस्कराते हो

वो कहते है मुझे अब उनकी जरूरत नहीं
नहीं जानते जरूरते अक्सर पूरी होने पर खत्म हो जाती है
और वो  मेरी जरूरत नहीं जूनून है दिल का सकूं है

वो कहते है तुम मौसम सा बदल गए
पहले उनको ना बदलने की परेशानी थी

वो आती है
इतराती है
बल खाती है
जुल्फ झटक
निकल जाती है

कड़वा होकर इतना पसंद आता हूँ
मीठा हुआ तो कही रूह में ना बस जाऊ

आज समस्या है मेरी
हो गया गर प्यार
कल हो जायेगी तेरी

#dp
बदल दो ये तस्वीर तुम्हारी
जिसने नींद लूटी हो हमारी

समंदर नहीं में 100 नदिया समा जाऊ
इश्क़ का प्यासा हूँ
ठंडी हवा से तृपत् हो जाऊ

उनसे परेशानी का सबब पूछते है
कैसे कहें की इश्क़ से डर लगता है

तेरे मीठेपन से परहेज है मुझे
ये मेरे कड़वेपन का एहसास दिलाता है

आज मेरे शेर का तू शिकार है
शायरी ही मेरा एक विकार है

शब्दों का मायाजाल बुनता हूँ
तुम सा नेक दिल निशाना चुनता हूँ

रब्ब क्यों दिल देता है
देता है तो फिर क्यों
दिल के बदले जिंद लेता है

आज लिखने को कुछ खास नहीं
मेरे शब्दों में शायद मिठास नहीं

बरसते है वो हम पर इस गुनाह से
की हम ने इश्क़ में चोट खायी है

बेखबर है कि बेरहम
दर्द से मेरे जो अन्जान है

_
तेरी बातों से दर्द की आहट होती है
लगता है तूम तन्हा ही बहुत रोते हो

ख़ुशी कहाँ रहते हो तुम
बरस बीत गए
तुम्हे देखा नहीं

चुनिंदा ट्वीट्स

बचपन सा खेलते आज भी बहुत है
गर हम अपने दिल और दिमाग से
कम्बखत अक्सर दिमाग जीत जाता है

बचपन के खिलोनो से रोना अच्छा था
कोई कोना नहीं ढूँढ़ते थे गम छुपाने को

कोई तो हँसता है मेरे दर्द पे
इसी सकूँ से दर्द सह लेते है

तुम्हे मजा आता है
अगले का दिल जला जाता है

तुम यूँ जो आते हो
हमे जलाते हो
और फिर जले पर नमक लगा
थोडा मुस्कराते हो

वो कहते है मुझे अब उनकी जरूरत नहीं
नहीं जानते जरूरते अक्सर पूरी होने पर खत्म हो जाती है
और वो  मेरी जरूरत नहीं जूनून है दिल का सकूं है

वो कहते है तुम मौसम सा बदल गए
पहले उनको ना बदलने की परेशानी थी

वो आती है
इतराती है
बल खाती है
जुल्फ झटक
निकल जाती है

कड़वा होकर इतना पसंद आता हूँ
मीठा हुआ तो कही रूह में ना बस जाऊ

आज समस्या है मेरी
हो गया गर प्यार
कल हो जायेगी तेरी

#dp
बदल दो ये तस्वीर तुम्हारी
जिसने नींद लूटी हो हमारी

समंदर नहीं में 100 नदिया समा जाऊ
इश्क़ का प्यासा हूँ
ठंडी हवा से तृपत् हो जाऊ

उनसे परेशानी का सबब पूछते है
कैसे कहें की इश्क़ से डर लगता है

तेरे मीठेपन से परहेज है मुझे
ये मेरे कड़वेपन का एहसास दिलाता है

आज मेरे शेर का तू शिकार है
शायरी ही मेरा एक विकार है

शब्दों का मायाजाल बुनता हूँ
तुम सा नेक दिल निशाना चुनता हूँ

रब्ब क्यों दिल देता है
देता है तो फिर क्यों
दिल के बदले जिंद लेता है

आज लिखने को कुछ खास नहीं
मेरे शब्दों में शायद मिठास नहीं

बरसते है वो हम पर इस गुनाह से
की हम ने इश्क़ में चोट खायी है

बेखबर है कि बेरहम
दर्द से मेरे जो अन्जान है

_
तेरी बातों से दर्द की आहट होती है
लगता है तूम तन्हा ही बहुत रोते हो

ख़ुशी कहाँ रहते हो तुम
बरस बीत गए
तुम्हे देखा नहीं

कभी ख़ुशी कभी गम

मेरी दुनिया शायद ये टीवी बनकर रहा गया है
इसी संग रो लेता हूँ इसी संग हंस लेता हूँ
पिछले हफ्ते pk ने झकझोर दिया और आज

कभी ख़ुशी कभी गम

कड़वे शब्द बोलता हूँ