बुधवार, 26 सितंबर 2018

भावुक पल जिंदगी के

कौन कैसा है
अच्छा या बुरा

इस बात पर नहीं बात करनी , आज बात कहनी है एक व्यक्तिगत भावनाओं की, अक्सर हम कहते है कि केवल  बेटी जब बाबुल का घर छोड़ती है तो वो पल गम और खुशी एकमात्र पल होता है, मैं इसके पूर्णत विरोध में हूँ।

ऐसे भावुक पल जिंदगी में बहुत बार आते है बस कुछ महसूस करते है कुछ हल्के में गुजर देते हैं।

मेरे लिए ये पल बहुत बार आए, मुझे जब अपने दोस्त छोड़ने पड़े, वो हालांकि अपने उम्दा भविष्य के लिए आगे बढ़ जाते है। उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना तो होती है ख़ुशी का पल होता है, ठीक वहीं दिल में जोर से कसक उठती भी है। और लगता है सब छूट रहा है। और ये बात आपके दिल में ही घर कर जाती है, कुछ लम्हों बाद दिल उन दोस्तों की अच्छी यादों को नसीब मानकर एक मन मंदिर में तस्वीर बना देता है।

बस यूँ दिल भावुकता के पल को सँजो लेता है।

मंगलवार, 4 सितंबर 2018

शिक्षक

शिक्षक

मेरे लिए उस दिए के समान है जो aghyanta के अंधकार में शिक्षा रूपी रोशनी से सृजन करता है।

शिक्षक

मेरे लिए उस कुम्हार के सामान है जो मुझ माटी को एक आकार में ढालकर, समाज में दिशा और दशा प्रदान करता है।

शिक्षक

मेरे लिए वो रास्ता है जो मेरे जीवन को मंजिल तक पहुँचाता है

शिक्षक

और क्या कहूँ
शिक्षक ही वो स्तम्भ है जिसपर मुझे रचने का भार है, शिक्षक ही मेरे जीवन का सार्थक आधार है

कड़वे शब्द बोलता हूँ