सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

तमाशा

कुछ की जिंदगी भी एक तमाशा होती है। मेरा एक भाई नेता है पिछले दिनों में उसके पास गया था उसने मुझे कहा मेरे साथ चलोगे।
में असमंजस में फिर भी साथ चल ही दिया।
पहले हम एक मुहरत पर पहुंचे दूकान के और फिर किसी के मकान के।

यहाँ तक तो फिर भी ठीक रहा अब बारी आई किसी के अंतिम क्रिया में जाने की।
मुझे तो आश्चर्य हुआ की अभी तो हम किसी की खुशियों को बाँट रहे थे और अब गम।।
कैसे आखिर
चार पल पहले जब हम किसी के मुहरत में थे तो हमे ज्ञान था की हमे किसी की मौत पर भी जाना है। तो क्या ये सिर्फ रस्म अदायगी होती है।
जन्म हो या मृत्यु एक सामाजिक व्यक्ति को चेतना को ख़तम कर के सिर्फ जाने का ही फ़र्ज़ पूरा करना होता है ।
या वाक्य में वो इतना सहनशील हो जाता है की उसे सुख और दुःख में सामंजस्य बिठाना आ गया।
मुझे तो काफी अटपटा लगा शायद में यूँ जाता नहीं।
जो भी हो जीवन के ही रंग है ये।।

बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

ख़राब है

लिखने का बाद ही पता चलता है की आप के दिल से कौन सा ब्रह्मास्त्र निकलने वाला था
क्योंकि आप का मन इतनी उधेड़ बुन में रहता है जाने किस कोने से कोई गहरा राज/दर्द निकल आये किसी अपने को छू जाये।
rockstar मूवी में कहते है दर्द पैदा करो तब आवाज में  रस आएगा यहाँ तो दर्द ही है पर आज दर्द से दूर भागते है सब। मजाक बन गयी जिंदगी और मजाक बन कर रह गया है

रविवार, 13 अक्तूबर 2013

अलफ़ाज़ मेरे

कभी तू पागल
कभी में पागल
जिंदगी हो गयी दुस्वार
न तेरा प्यार
न मेरा प्यार
तेरा वजूद मेरी मोहब्बत
मेरा वजूद तेरी नफरत
मेरे आंसू और तेरी हंसी
मेरे शिकवे तेरे बहाने
वो अनजाने लम्हे
तेरे रास्तो पर बिताये
होंठो की मुस्कान को
अपने किस्से बनाये
हर कोने का ताना
पर तूने न मुझे जाना
लिखू स्याही लाल से
खून में वो बात नहीं
जब से फेरे डाले तेरे
यार टूट गए बतेरे

बुधवार, 9 अक्तूबर 2013

tohfa

मेरे चाचा और चाची ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में रहते है पिछले दिनों मेरे दादा जी और दादी जी उनके पास गए थे।

उनके आने पर उनके साथ उन्होंने एक फ़ोन मेरे लिये भेजा
मेरा दिल भर आया एक तरफ जहाँ मेरा विश्वास दुनिया से उठ चूका था वही में सोचने लगा की ऐसा क्यों?

शायद उस कुदरत ने ही लिख दिया मेरी तकदीर में की जीना सिर्फ दुसरो के लिए । फल समय देगा पर तू अपने करम में लगा रह। मेरा पैर बहुत जल्दी उठता है मदद के लिए पर कभी कभी परिवार की जिम्मेवारी आड़े आ जाती है ।

मानता हूँ खुद के लिए भी कुछ करना होता है पर क्या इतना कुछ काफी नहीं होता की हम बहुत कुछ औरो के लिए करते है ये और बात कुछ ऐसे भी है जिनके लिए कितना कर लो पर वो आप को बुरा ही कहेंगे।।

पर ऐसे तोहफे मिलते रहे मेरे होंसले बढते रहे औरो की सेवा में।।

बुधवार, 2 अक्तूबर 2013

ब्लाह ब्लाह ब्लाह

पता है

आप को कैसे पता होगा मेने बताया तो नहीं ना
मेरा एक दोस्त ट्वीटर पर कहता आप बहुत अच्छा लिखते हो ब्लॉग


में खुश भाई चलो किसी ने तो अपनी कदर की।
मेने ख़ुशी में हिंदी में उसको टवीट किया।।

पता है क्या उत्तर आया

सोचो

सोचो

कहता की मेरे फ़ोन पर हिंदी भाषा नहीं आती अंग्रेजी में ट्वीट करो।।

भला मेरे ब्लॉग भी तो हिंदी में थे वो कैसे पढे मेरे चश्मे से पढे होंगे शायद

अब दो बातें है

या तो वो सब से अच्छा दोस्त है मुझे खुश देखना चाहता है

या

रहने दो जो पहले वाली सच हुयी दूसरी बात की जरूरत ही क्या।

हर किसी का।।।।।।

कोई अच्छा है तो कोई बुरा है ।
कोई माखन है तो कोई छूरा है
किसी की नियत ख़राब है
किसी की सूरत ख़राब है
किसी का धरम महान है
किसी का करम महान है
किसी का बेटा लायक है
किसी का बाप विलायत है
किसी का रंग काला है
किसी का रूप निराला है
हर किसी का कुछ होता है
हर कोई फिर भी रोता है
क्योंकि इंसान भूखा होता है

आखरी वक़्त भी भूखा सो जायेगा
फिर भी किसी का गला काट रोटी लायेगा
खुद भी खायेगा और नन्हो को भी खिलायेगा
फिर किसी मंदिर मस्जिद की चोखट जायेगा
अपने कर्मो पर पर्दा डालने का क़र्ज़ चुकाएगा
अगले दिन जायेगा और नया गला लायेगा
पर अपनी हरकत से न बाज आएगा
इंसान इंसान न होकर पशु हो जायेगा
कुछ कर ले आखिरी वक़्त एक दिन आएगा
और तू भूखा चला जायेगा।।।।।।।।।।।।।

मंगलवार, 1 अक्तूबर 2013

लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर प्रकाश

लालबहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर सन्‌ 1904 ई. के दिन वाराणसी जिले के छोटे से गांव मुगलसराय में हुआ था। सामान्य शिक्षक का कार्य करने वाले पिता शारदा प्रसाद मात्र डेढ़ वर्ष की आयु में ही बालक को अनाथ करके स्वर्ग सिधार गए। माता श्रीमती रामदुलारी ने ही ज्यों-त्यों करके इनका लालन-पालन किया। बड़ी निर्धन एवं कठिन परिस्थितियों में इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण की। बाद में वाराणसी स्थित हरिशचंद्र स्कूल में प्रविष्ट हुए। सन्‌ 1921 में वाराणसी आकर जब गांधी जी ने राष्ट्र को स्वतंत्र कराने के लिए नवयुवकों का आह्वान किया, तो उनका आह्वान सुनकर मात्र सत्रह वर्षीय शास्त्री ने भरी सभा में खड़े होकर अपने को राष्ट्रहित में समर्पित करने की घोषणा की। शिक्षा छोड़ राष्ट्रीय आंदोलन में कूद पड़े और पहली बार ढाई वर्ष के लिए जेल में बंद कर दिए गए। जेल से छूटने के बाद राष्ट्रीय विचारधारा वाले छात्रों के लिए स्थापित काशी विद्यापीठ में प्रवेश लेकर फिर पढ़ने लगे। वहां पर इन्हें डॉ. भगवानदास, आचार्य कृपलानी, श्रीप्रकाश और डॉ. संपूर्णानंद जैसे शिक्षक मिले। जिनके निकट रहकर इन्होंने स्वतंत्र राजनीति की शिक्षा तो प्राप्त की ही, शास्त्री की उपाधि या डिग्री भी पाई और मात्र लाल बहादुर से लालबहादुर शास्त्री कहलाने लगे।शिक्षा समाप्त कर शास्त्री जी लोक सेवक संघ के सदस्य बनकर जन-सेवा और राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए कार्य करने लगे। अपने कार्यों के फलस्वरूप बाद के इलाहाबाद नगर पालिका एवं इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट के क्रमशः सात और चार वर्षों तक सदस्य बने रहे। बाद में उन्हें इलाहाबाद जिला कांग्रेस का महासचिव, तदुपरांत अध्यक्ष तक मनोनीत किया गया। प्रत्येक पद का निर्वाह इन्होंने बड़ी योग्यता और लगन के साथ निःस्वार्थ भाव से कर के आम जनता और उच्च नेता वर्ग सभी का मन मोह लिया।आम साधारण व्यक्ति से भी साधारण व्यक्तित्व, एकदम साधारण परिस्थितियों और वातावरण में जन्म लेकर असाधारण एवं युगपुरुषत्व को प्राप्त कर लेना वास्तव में बड़ी ही महत्वपूर्ण बल्कि चमत्कारपूर्ण बात कही एवं स्वीकारी जा सकती है। चमत्कार करके साधारणता से असाधारणता प्राप्त कर लेने वाले व्यक्तित्व का नाम है लालबहादुर शास्त्री, जिसने नेहरू के बाद कौन जैसे प्रश्न का उचित समाधान प्रस्तुत किया। साथ ही अपने अठारह मास के शासन काल को भी अठारह सदियों जैसे लंबे समय के गर्व एवं गौरव से भर दिया

लाल बहादुर शास्त्री

आज जन्मदिन है उस महान आत्मा का जिसने गाँव की पृष्ठभूमि से चलकर देश की प्रधानंमंत्री के पद को सुशोभित किया। कोई भी पक्ष या विपक्ष का उनके व्यक्तित्व पर सवाल नहीं उठा सकता। उनके बारे में भी कुछ ज्यादा नहीं जनता क्योंकि कभी पाठ्य पुस्तको में इतना ज्यादा लिखा नहीं था। और कभी लाइब्ररी में जाकर पढने का शोक नहीं हुआ । पर जितना सुना और पड़ा वो एक कर्मठ व्यक्ति थे
नदी पार करना और एक दिन का व्रत रखना जैसे किस्से उनके बारे में काफी कुछ बता देते है। मेरा आप सब से ये आग्रह है की आप संकल्प ले की लाल बहादुर शास्त्री के नक़्शे कदम पर न सही पर उनके जीवन से कुछ प्रेरणा जरूर ले
जय जवान जय किसान

ट्वीटर

एक ऐसा वर्ग जिसे शायद मोहल्ले में या ऑफिस में या कही भी मौका नहीं मिलता अपने दिल का अरमान। जहर उगलने को वो ट्वीटर पर आसानी से व्यक्त कर देता है अच्छा भी है मन निर्मल हो जाता है । हल्कापन आ जाता है कोई चिंता नहीं रहती लगता है हमने पप्रोटेस्ट यही कर दिखाया हो । कुछ मित्र इतना अच्छा लिखते है की ट्वीटर छोड जाने का मन नहीं करता और कुछ ऐसे भी है जिनके संग निभाने का मन नहीं करता । पर जैसा की हमेशा सिखाया जाता है बुराई तज कर अच्छाई को अपनाना चाहिए । ताकि हमारे अंतर्मन पर कोई दुष्प्रभाव न हो। और हम निरंतर अपने लक्ष्य की तरफ बढते जाये। आप को लगता होगा की में कैसी बातें लिखता हूँ आप को तो सब पता है। पर एक बात कहूं दावे से हर किसी को पता होता है जब कोई बुरा या अच्छा काम करता है पर फिर भी करता है। सब हेराफेरी करते है थोड़े मुनाफे के लिए उस वक़्त चलता है कहकर पल्ला झाड़ देते है अपने सब गुनाहों से। मेरा मकसद ट्वीटर पर अच्छे लोगो से बातें करना और अच्छे लोगो की भावना को प्रबल बनाना ताकि जो कुछ बचे है वो विरासत ही सरंक्षित रह जाये ।।
नमस्ते ।।

कड़वे शब्द बोलता हूँ