बुधवार, 15 मई 2019

माथे की लकीरें

विकास एवं पंचायत विभाग में कार्य करने के कारण अक्सर ग्रामीण क्षेत्र में दौरा करने का अवसर मिलता रहता है, कल इंद्री के गाँव गढ़ी जाटान का दौरा किया वहां पर पंचायत भूमि की पट्टे पर देने के लिए नीलामी थी। गाँव के काफी इच्छुक लोग बोली देने हेतू पंचायत भवन के प्रांगण में मौजूद थे, बोली का कार्य सुचारू रूप से चल रहा था लोग मखौल करते हुए बोली लगा रहे थे, तब मेरी नजर एक अधेड़ उम्र के धूप में झुलसे हुए, माथे पर शिकन की लकीरें लिए व्यक्ति पर पड़ती है, वह कुछ बोल नही रह था मगर 2 से 3 कश में लगातार बीड़ी फूंक रहा था। प्लाट दर प्लाट बोली लग रही थी और उसकी काया बीड़ी से सुलग रही थी , कुछ समय पश्चात एक 20 बीघे प्लॉट की बोली आई तो उसकी भौहें तन गई, पिछले वर्ष की अपेक्षा में 1000 अधिक राशि से बोली शुरू की गई तो सबसे पहले बोली लगाने वाला व्यक्ति वही था, प्रतीत होता था कि जैसे उसे कोई चाभी मिलने वाली है जिस से उसकी जीवन की सभी परेशानियां खत्म होने वाली हो, खैर जैसे जैसे मेरे जहन में द्वंद्व चल रहा था वैसे बोली कि प्रक्रिया आगे बढ़ रही थी अब 20 प्रतिशत बढ़ोतरी के उपरान्त बोली मात्र 100-100 रुपये कि सुस्त चाल से चलने लगी थी, उधर मेरा मन सवाल कर रहा था कि उसकी कौन सी ऐसी समस्या है जिसका अंत ये 20 बीघा जमीन करने वाली थी, गाँव में मुख्य समस्या बच्चों के विवाह की होती है। सामाजिक परिवेश को ध्यान रखते हुए सबके खानपान व दहेज के लिए अच्छी रकम जुटाने की जुगत लगानी पड़ती है। ज़िन्दगी के कुछ बरसो की कमाई विवाह में तो कुछ बरस की मकान बनाने में ही लग जाती है। समय के साथ शिक्षा बढ़ने के कारण, ग्रामीण पैसा शिक्षा पर भी खर्च करने लगे है मगर इसकी वजह से मकान और शादी में पैसा पहले की अपेक्षा में और ज्यादा लगने लगे गया है। बच्चें जितने शिक्षित चकाचौंध के दौर में उतना ही खर्च करना पड़ता है। खैर बोली का दौर चल रहा था कि वह जेब टटोलने लगा कि देखा बीड़ी का मंडल खत्म हो गया, बेचैनी भरे चहेरे से उसने साथ वाले ग्रामीण से गुहार लगाई तो उसने उसे एक सिगरेट थमा दी, सिगरेट की अग्नि थी कि उसकी जरूरतों की बोली कि दरों में 100 रुपये से 1000 रुपये का उछाल आया गया, अब उसने आवेश में आकर, पिछले वर्ष से 40 प्रतिशत अधिक राशि पर जमीन पट्टे पर ले ली। अब उसके चेहरे के भाव खुशी के नहीं  बल्कि भय व आशंकाओं के थे, उसने एक समस्या को दूर करने के लिए जीवन में दूसरी समस्या को पाल लिया था। अब नीलामी की राशि का भी इंतजाम बैंक अथवा किसी आढ़ती की चौखट पर अंगूठा लगाकर करना था। खुद के पास इतनी राशि होती तो एक समस्या तो खत्म हो ही जाती।
मेरे जीवन में तो उसका किरदार कल तक ही था लेकिन मेरे जहन में उसकी चिन्ता हमेशा के लिए घर कर गई, कि जाने वो कौन सी समस्या होगी जिसके लिए उसने अपने जीवन को तपते तेल की कड़ाही जैसे गर्म खोलते तेल में छोड़ दिया, अब मौसम की मार, औने पौने दाम का डर, कुदरत का कहर, ब्याज का पहर इत्यादि विषैले फनों से बचकर, उसकी परेशानियों का हल सुगम हो पाएगा या एक और किसान अगले बरस पेड़ पर लटक जाएगा। ✍️👁️👁️

गुरुवार, 2 मई 2019

वोट करें चले वोट करें

वोट करें चलो वोट करें
इस 12 मई को महापर्व में रंग भरे
वोट करें चलो वोट करें

लोकतंत्र है शान हमारी
दुनियाँ में व्यवस्था सबसे न्यारी
आओ इसे मजबूत करें
वोट करें चलो वोट करें
इस 12 मई को महापर्व में रंग भरे
वोट करें चलो वोट करें

करनाल के जन जन नें ठाना है
महापर्व में वोट डालकर आना है
वोट करें चलो वोट करें
इस 12 मई को महापर्व में रंग भरे
वोट करें चलो वोट करें

जाति, धर्म और रंग भेद को मिटाना है
निष्पक्ष योग्य व्यक्ति को आगे लाना है
वोट करें चलो वोट करें
इस 12 मई को महापर्व में रंग भरे
वोट करें चलो वोट करें

कड़वे शब्द बोलता हूँ