शनिवार, 15 मार्च 2014

मेरे सपने बेरंग

सपने तो में बहुत लेता हूँ पर कैसे उनको पूरा किया जाये उस पर कभी काम नहीं किया। इसलिए आज परेशानियो का सामना कर रहा हूँ। या ये भी कह सकते हो मेने सिख ही नहीं की कैसे अपने शब्दों को अकार दिया जाता है। मेरे दोस्त कुछ मुझ से आगे निकल गए और कुछ बहुत आगे निकल गए। शायद उनके लक्ष्य निर्धारित थे। और मेने अपने जीवन को उन मुद्दों में भटका दिया जहाँ पर पैसा और तरक्की नहीं थी। मुझे आप से ये ही कहना है की जीवन में आप को शौक पूरे करने का बहुत वक़्त मिलेगा पर एक बार जीवन में वो मुकाम हासिल कर लेना जिस से यर समाज आप को सलाम करे।।

हो तुझ में वो कशिश
की मुरादे भी तुझ से पूछ पूरी हो।।

कड़वे शब्द बोलता हूँ