मौजे और भी है जमाने भर की
मेरा दिल क्यों गम ए मोहब्बत
के आगे बेबस सा हो जाता है
कोई निशान नहीं रखता में दर्द के
मुस्कान सी रखता हूँ छुपाने को
मगर कोई इन आँखों से झाँक लेता है
मेरे दर्द भरे इस दिल को भांप लेता है
शौक हो गया अब तो दर्द में जीने का
खुशियो को देख अचानक घबराते है
ज्यों ज्यों गम आते हम फिर मुस्कराते
हर आह को वाह मिली है यहाँ, कौन कहता है दर्द बिकता नहीं है..!!
जवाब देंहटाएंतेरी वाह से मेरी आह और बढ़ जाती है
जवाब देंहटाएंतू हंसती जख्मो पर
मेरी खुशिया तमाशा बन जाती है