में अक्सर इतना बुरा नहीं होता
जितना आज हुआ हूँ
शायद ज़िन्दगी में इतनी दुविधा के कारन ऐसा हुआ
पूरी ज़िन्दगी मेने ऐसा करम आज तक नहीं किया
जो आज किया, जितना जहर था सीने में उतार डाला
बहुत तक़लीफ़ थी इसलिए
या आप ये भी कह सकते हो
बहुत कमजोर हूँ इसलिए
मुझे खुद उम्मीद नहीं थी
में इस कदर कर जाऊंगा
जो सुलझाता था ज़िन्दगी औरो की
खुद उलझ गया है इस अंधे संसार में
मुझे उन सब से क्षमा की जरुरत है
जिन सब को मुझ से ढेर सारी उम्मीदें है
Sochta hoon ki har pal likhoon par likhne baithta hoon to wo pal hi gujar jata hai
मंगलवार, 14 अप्रैल 2015
जमकर बरसा हूँ आज
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