बुधवार, 31 दिसंबर 2014

नव वर्ष का आगाज

पावन वेला जो नव वर्ष की आयी
आप सब को हार्दिक बधाई

कमल सी खिले ज़िन्दगी आप की
हो रोशन हर दिन और उजला सवेरा

मोतियो सा भरे दामन आप का
हर दाने का स्वाद लाजवाब हो

जीवन में खुशियो का आगाज हो
ना कोई झगड़ा ना कोई फसाद हो

हर शाम सकूँ से गुजरे
सवेरे का स्फूर्ति से आगाज हो

करे चाहे आप कुछ भी
पर अपनों को आप पर नाज हो

ऐसा उन्माद से भरा नव वर्ष का आगाज हो

सोमवार, 29 दिसंबर 2014

मुश्किल भरा है मेरा कल चल और कही ले चल

सोचता हूँ तुझे
हर पल
मुश्किल भरा है मेरा कल चल और कही ले चल

संजीदा है मोहब्बत मेरी
पर भारी ये जुदाई के पल
मुश्किल भरा है मेरा कल चल और कही ले चल

रस्ते चुनें जो वफ़ा ए यार के
कश्मकश में है गुस्ताख़ ए दिल

मुश्किल भरा  है मेरा कल चल और कही ले चल

बढ़ता है हर सांस में खुमार यार का
मुझे तो बस चाहत है तेरी
नहीं जानता अक्षर प्यार का
मुश्किल भरा है मेरा कल चल और कही ले चल

हवा के पीछे क्यों भागता मेरा मन
इश्क़ में दिल टूटता है छन छन्
मुश्किल भरा है मेरा कल चल और कही ले चल

# बेबस होता है हर किसी का दिमाग
   जब उठती है दिल में इश्क़ की आग

रविवार, 28 दिसंबर 2014

कुछ शेर तेरे कदमो में

हया से चूर हूँ
में इतनी मजबूर हूँ
तेरे इश्क़ की सौगात है
में शहर में मशहूर हूँ

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वक़्त बे वक़्त तेरी याद ने
फरियादी बना दिया
रब्बा को याद करू कभी
तो कभी तेरे अब्बा को

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B-)B-)B-)B-)B-)B-)B-)

फरेबी है आँखें तुम्हारी
कभी छलकता जाम
तो कभी क़त्ल ए आम

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शनिवार, 27 दिसंबर 2014

जाने क्यों बंधन उनको भी है बंधन हम को भी है

नजरें हमारी एक दूसरे से टकरा लौट आती है
जाने क्यों
बंधन उनको भी है बंधन हम को भी है

दो कदम वो बढ़ाता है दो कदम में बढ़ाता हूँ
अगले पल चार कदम पीछे खींचे चले आते है
जाने क्यों
बंधन उनको भी है बंधन हम को भी है

हामी भरे बैठे है दो पंछियो के दिल
उड़ने की मुश्किल उनको भी  है
उड़ने की मुश्किल हमको भी है
जाने क्यों
बंधन उनको भी है बंधन हम को भी

हलचल सी होती है सीने में जब तुम पास आते हो
दूर जाने की मुश्किल तुमको भी है और हम को भी है
जाने क्यों
बंधन उनको भी है बंधन हम को भी है

तोड़ दिए दिल के रिश्ते नाते सब हमने
अब कसक उनको भी है और हम को भी है
जाने क्यों
बंधन उनको भी है बंधन मुझ को भी

#कब तलक इस ज़मीन पर
समाज की ख़ातिर
दिलों के क़ारोबार यूँ ही उजड़ते रहेंगे

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2014

ख़ामोशी रात की

प़ल पल डसती है तन्हाई
खुद से होती है रुसवाई
कुछ इस कदर
ख़ामोशी रात की

यादों के झरोखे
तस्वीर बन घूमते है
मेरे लब फिर उसके शब्द चुमते है
कुछ इस कदर
ख़ामोशी रात की

प्यास बन वो जहन में उतर जाता है
याद आने पर वो और दूर चला जाता है
कुछ इस कदर
ख़ामोशी रात की

ना फ़िक्र उसे
ना कद्र उसे
मेरी कही हर बात की
कुछ इस कदर
ख़ामोशी रात की

#मेरी रातों को खामोश करने वाले
तेरे उजालों में लहू मेरे जज्बात का है

गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

पहला एहसास

जिंदगी में पहला एहसास जो ख़ुशी देता है वो शायद कभी ना मिलती हो
चाहे वो पहली बारिश का हो
चाहे वो उनकी पहली नजर का हो
चाहे वो उनके पहले शब्दों का जादू हो
चाहे वो उनके पहले स्पर्श की लहर हो
चाहे वो उनका पहला मीठा दर्द जुदा होने का हो
पहला एहसास जिंदगी का कुछ खास होता है
बेशक जी भर उस पल रोता हो
बेशक उम्र भर का तब ही सोता हो
बेशक सपनो में उसी दिन खोता भी हो
बेशक सदियों का सपना संजोता भी हो
जिन्दगी का पहला एहसास जो .....
उम्मीद है ए जिंदगी
तू हर एहसास पहले सा कराएगी
मेरी धडकनों का सजदा बढ़ाएगी

कुछ लम्हें तो उधार दे

मेरी जिंदगी मेरे नसीब पर वार दे
पर कुछ लम्हे उधार दे

मौसम बदलते है रिश्ते बदलते है और फिजा बदल जाती है
पर मेरा नसीब बदनसीबी में दम तोड़ जाता है
कोई जिस्म का टुकडा वार दे
पर कुछ लम्हे उधार दे

बेबस इतना किया चिल्लाया तो तनहा था
खामोश रहा था तो ठहाके लगा मजाक बना दिया
मेरे सांस ही जिस्म से उखाड़ दे
पर कुछ लम्हे उधार दें

सोचने को दिमाग नहीं करने को हजार काम है
कुछ गलत किया तो जीना हराम है
मेरे सारे सपने भी वार दे
पर कुछ लम्हे उधार दे

बुधवार, 24 दिसंबर 2014

रोके से ना रुकता नहीं वो मेरे

रोज उसको देख मन की आँखों पर पर्दा डालता हूँ
वो है की पर्दा उठा ताक झाँक कर जाता है
मेरा सर शर्म से झुक जाता है

रोके से रुकता नहीं वो मेरे
रोज एक इंच गहरा सीने में उतर जाता है
में तोड़ता हूँ रिश्ता गर
वो पलकों पर चिपक जाता है
रोके से रुकता नहीं वो मेरे रोज एक इंच ...

हंसी खुद कम करता है मेरे होंठो पर मुस्कान लता है
अपनी ख़ामोशी से भी सब कुछ कह जाता है
रोके से रुकता नहीं वो मेरे ......

मेने भी निकालने का किया जो इरादा
जखम में घर कर गया वो ज्यादा
में मरहम लगाता हूँ वो कुरेद जाता है
रोके से रुकता नहीं वो मेरे ....

आज भी कुछ लम्हे संग उसने है बिताए
मेरे जज़बातों के दिए फिर से जगमगाए
में मासूम सा मीठे बोलो से घिरता गया
वो हर एक शब्द पहले से मीठा करता गया
रोके से रुकता नहीं वो मेरे...

#
मुझ नासाज पर इतना अहसान कर
खंजर को सीने से निकाल ना सके तू अगर
सीने को निकाल मेरे
खुद का सीना मेरे नाम कर#

अरमानो की बहती धारा

खामोश रात का सन्नाटा इस कदर है बरसा
ज़ख़्म खाए दिल ने कुछ इस तरह
ना होश है ना खबर
होते तुम अगर
कर लेते सब्र
अब तो है अकेले
इसलिए हुए झमेले
कोई मेरे भी आंसू ले ले
कोई मेरे संग दी मीठे बोल बतियाये
तो मेरे भी दिल को सकूँ मिल जाए
अरमान की बहती है जो धारा
उसको कभी किनारा नहीं मिलता
उस कुदरत की मर्जी बिना पता नहीं मिलता
इसलिए मेरे अरमानो का एक फूल भी नहीं खिलता

मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

जंगल राज

हालात ऐसे है की ना निगल सकते है ना उगल
जी जनाब आप को तो दूर से सरकारी दफ्तर भव्य नजर आता है उसके अंदर के सिपाही चोर।।
यकीन मानिए कुछ गुलाम भी रहते है वहां
बंधुआ मजदूर प्रजातान्त्रिक सरकार के
मेरी बातों का यकीन ना हो तो किसी एक का मन टटोल कर देखना अंगारों के सिवा कुछ ना होगा।।
दफ़न है सब के सीने में जलालत की आग जो दिन भर की  घुटन अपने परिवार या दोस्तों पर निकालता है

नहीं कुछ तो जमा कर देते है जहर किसी दिल के कोने में

अभी बस ना निकल जाए बाकी समय मिला तो लिखूंगा जहर अभी बाकी है

गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014

विश्वकर्मा दिवस

काम ना करने का दिवस
औजारों की पूजा करना
इत्यादि प्रचलित धारणाए विश्वकर्मा दिवस की बधाई।।

बुधवार, 22 अक्तूबर 2014

दीपावली

इतिहास का पता नहीं पर जिस तरह से लोग खरीददारी करते है
अब जरूर ख़ुशी का पर्व है इसलिए आप भी मनाये।।

गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

पिता स्तम्भ परिवार का

मेरे दोस्त के पिता की कल मृत्यु हो गयी मेरे पैरो के नीचेसे जमीन खिसक गयी।। अचानक सुनकर तबियत भी बिगड़ गयी उनके घर जाना तो दूर इलेक्शन ड्यूटी पर था वो छोड़ भी घर आ गया।। पिता परिवार का वो स्तम्भ होता है जो परिवार को एक सूत्र में बांधे रखता है वो हमेशा परिवार को दुःख की घडी में होंसला बनाये रखने का ढांढस देता है।।
मेरा ह्रदय की करुणा में व्यक्त नहीं कर सकता।। भगवान मेरे मित्र को होंसला दे।। ताकि पिता के छोड़े परिवार के दायित्व का वहन कर सके।।

सोमवार, 13 अक्तूबर 2014

Lyrics- is that right time

Boy;- is that right time to talk to you.
Girl:- I don't think so

really! You don't wana talk to me

May be, don't sure try little bit more

(Again is that time ........)

Don't be so rude. Its a request with politeness.

I am not rude, just don't ready its too early. I need time.

I know Time is precious but wait is also too hard

(3rd time is that right ........)

Girl :- okay you can, before that i just need favor.

Boy:- oh sure, i am always pays your words its a prmoise to me always.

Girl:- so leave me and don't stalk me ever.

He is laughing and move on and never come back.

गुरुवार, 2 अक्तूबर 2014

Healthy conversation

Lack of work today newcomers of our office take a part in a debate on working condition of a women in government office & outside. Here is a lady virangna who told that she always suffer many problems while traveling in bus and working in office.

I give my opinion that I never feel that because brave person always fight with that issue.

yeah but coward or shy persons always torched by this system. Most of people said that is man dominating society but i think that is power person society who have political or healthfull or wealthfull.

When i was in school most of time i face that thing because i was according to age and health small child so what i faced i know only that thing. that time i was blame on several things for what happening to me. But slowly slowly time make me strong but i don't think some fear today also inside me. For example in office so many people make a false questions on me but i never reply them. Yeah but i express my protest with my blogs or with my silence.

In the last silence give me pain and my followers gain.

बुधवार, 1 अक्तूबर 2014

स्वच्छता दिवस

आज हम स्वच्छता दिवस मना रहे है क्या एक दिन मनाने से सब स्वच्छ हो जायेगा।। शपथ तो हमारे नेता भी देश सेवा की लेते है मगर होता क्या है।। असली आवश्यकता हमारे दैनिक जीवन में सुधारो और कड़े कानून की है।  हम इतने ढीठ हो चुके है की हमे जब तक डंडा न दिखाया जाये हम कुछ नहीं करते।।
उदारहरणतया आधार कार्ड पर जब सरकार ने गैस सिलेंडर की पाबन्दी लगायी लोग पागलो की तरह आधार कार्ड बनवाने लगे।। मतलब इतने स्वार्थी हो चुके है पैसो की बात आये तो किसी स्तर पर गिर जायेंगे मगर समाज हित के नाम पर मेरे बाप का क्या जाता है जैसे स्लोगन सूनने को मिलेंगे।।
मेरी आप सबसे ये ही प्रार्थना है केवल आप द्वारा फैलाये कचरे का प्रबंधन कर लीजिये।। बाकी तो हम कर लेंगे।।
जैसे छोटी बातें:-
1. घर से थैला व्ले बर्तन ले कर जाये बाजार व् अन्य स्थान जहाँ पर भी वस्तुओ के लिए जाना पड़े।। अगर मजबूरी वश पॉलिथीन ले लिया तो उसे अनेक बार इस्तेमाल कीजिये।।
2. घर में अगर बगीचा है तो वहां छोटा सा कम्पोस्ट पिट बनाइये ताकि घर का गलन शील कचरा खाद में बदल आप के पोधों के काम आ सके।।
3. वाश्बेसन का गन्दा पानी फ्लश में इस्तेमाल कीजिये और वाश बेसन के लिए नल/टुटी की बजाये मग का इस्तेमाल कीजिये।।
4. अगलनशील कचरे को कबाड़ी को बेचकर 5 से 10 रुपये की बचत करे।। हो सकता है जो 5 रुपये की बचत आप के लिए थोड़ी है किसी के लिए बहुत हो सकती है।।
5. हाथ धोने में कभी आलस ना दिखाए खाना खाने से पहले, खाना बनाने से पहले व् शौच जाने के पश्चात साबुन से हाथ अवश्य धोए।।
6. हो सके तो घर में शौचालय में यूरीनल पॉट अवश्य लगाये।।

रोचक बातें:-
० स्वीडन को कचरा इम्पोर्ट करना पड़ता है
० अपने ही देश में प्लास्टिक व् पॉलिथीन का इस्तेमाल कर सड़के बनायीं जा रही है
० पेशाब घर को बाग से जोड़ कर वहां के फुल पोधी पर यूरिन का स्प्रे किया जाता है क्योंकि हमारे पेशाब में यूरिया की मात्रा काफी होती है।।

जय हिन्द।। देश को आज आप की कुर्बानी की नहीं आप की जरुरत है।।

रविवार, 28 सितंबर 2014

कुछ लम्हें जो तुझ से

सांस मेरी जो अटकी तुझे भी चैन ना होगा
जिस्म मेरा ज़ख़्मी होगा लहू तेरा ही होगा

दर्द इस तरह रुलाएगा तुझे
करार ना होगा मुझे

बह जाने दो दर्द को आंसुओं के रास्ते
दिल को यूँ बोझ तले रखा नहीं जाता

आरजू बेशक हो अधूरी मेरे यार
चाहत पर न होगा तेरा इख्तियार

होंठ मेरे प्यासे रहे तेरे अमृत से
पर जो नैन बहे तेरे लिए वो दर्द पिया बहुत

जान तू होगी मेरी ये न समझना
मेरी जिंदगी कैद है यादों की तस्वीरो में

छन से छीना जो तूने तोड़ दिया दिल मेरा
कुछ तो दरारे आई होगी तुझे असर है मेरा

लफ्ज़ तू संभल के कर इस्तेमाल
कोई बेक़सूर न हो बे हाल

चाल तेरी गहरी थी जो समझ ना पाया
तेरे आँखों के अपनेपन में तेरे जहन का फर्क नजर ना आया

हो सके तो इतना करना
मुझ सा और किसी को बर्बाद ना करना।

महान संस्कृति का जनाजा

भारत की संस्कृति की बात करते है हम तो मुझे बड़ी हंसी आती है। किस देश की संस्कृति जहाँ सदा से व्यवहार बड़े छोटे को देखकर बनाया गया।।

सबसे पहले तो आप देख सकते है एक वर्ग शिक्षित था और एक वर्ग बाहुबल दोनों ने जैसे चाहा वैसा नियम कमजोर व् निमन वर्ग को शोषित किया।।

शादी की बात करते है की हमारे धर्मं ने एक शादी की अनुमति दी।। तो वो राजा किस भारत के थे जो जंगल में सुंदर कन्या देख गन्धर्व विवाह कर लेते थे और घर तक जाते जाते भूल भी जाते थे।।

फिर बात करते है महिलाओ के सम्मान की इतना सम्मान करते थे की किसी भी बेवा को उसके पति के साथ जिन्दा जला (सती)दिया जाता था इस महान संस्कृति में।।

इंसानियत शब्द का प्रयोग निम्न वर्ग ही करता था वो ही आज करता है।। जब तक ना समानता का भाव होगा वो समाज विकास और एकरूपता की बात करे तो अट्ठाहस से ज्यादा कुछ नहीं।।

मेरा कहना इतना है की हमे सहजता से अपनी बुराइयों को स्वीकार कर दृढ़ता से उन्हें दूर करना चाहिए।।

बुलंद वो शिकारी नहीं जिसने शेर का शिकार किया
वो चूहा है जिसने जाल काट शेर को बचाया।।

शनिवार, 27 सितंबर 2014

सार्थक मूल्य

आप सब या हम सब जीवन को बेहतर जीने की कामना रखते है। कोई भी शख्श नहीं होगा जो अपने जीवन को अर्थहीन और विवेक शून्य जीना चाहता होगा।। हम दिन प्रतिदिन विकास की दौड़ में इतना आगे आ चुके है की हम ने अपनी नैतिकता को पीछे छोड़ दिया है। क्या यह जीवन सार्थक है।। ज्यादातर लोग यही कहेंगे क्या करे जीने के लिए सब करना पड़ता है।। जीने के लिए तो दिन भर मेहनत कर दो रोटी मजदूर भी जुटा रहा है।।
असलियत में हम जीने के लिए नहीं अपने चकाचौंध वाले समाज की बराबरी के लिए ये सब करते है।। पर ये नहीं जानते ये सब पाने की चाहत में वो वक़्त गँवा देते है जब उन वस्तुओ का असली लाभ उठा सकते थे।।
जैसे आजकल किसी कंपनी का विज्ञापन आता है 60 वर्ष की उम्र में आप बैंकाक घूम कर आईये।। वो क्या करेंगे बैंकाक? क्या वो मोटर नाव का आनंद ले सकते है
क्या वो पेरा ग्लाइडिंग कर सकते है
ऐसे काफी एडवेंचर है जिनका आप जवानी में ही लुत्फ़ उठा सकते है।। रही बात दृश्य की वो तो घर पर टीवी में कहीं का भी देख सकते है।। मेरा मकसद किसी का दिल दुखाना नहीं सिर्फ इतना कहना है की
"आज थोड़े में भी वो जीवन का आनंद ले सकते है जो उम्र बीत जाने पर ज्यादा में भी नहीं ले सकत"

# यूँ हसीं लम्हे खो गए उनकी चाहत म
वो है की बेवफा निकले

मंगलवार, 23 सितंबर 2014

शनिवार, 15 मार्च 2014

मेरे सपने बेरंग

सपने तो में बहुत लेता हूँ पर कैसे उनको पूरा किया जाये उस पर कभी काम नहीं किया। इसलिए आज परेशानियो का सामना कर रहा हूँ। या ये भी कह सकते हो मेने सिख ही नहीं की कैसे अपने शब्दों को अकार दिया जाता है। मेरे दोस्त कुछ मुझ से आगे निकल गए और कुछ बहुत आगे निकल गए। शायद उनके लक्ष्य निर्धारित थे। और मेने अपने जीवन को उन मुद्दों में भटका दिया जहाँ पर पैसा और तरक्की नहीं थी। मुझे आप से ये ही कहना है की जीवन में आप को शौक पूरे करने का बहुत वक़्त मिलेगा पर एक बार जीवन में वो मुकाम हासिल कर लेना जिस से यर समाज आप को सलाम करे।।

हो तुझ में वो कशिश
की मुरादे भी तुझ से पूछ पूरी हो।।

कड़वे शब्द बोलता हूँ