मंगलवार, 7 अप्रैल 2015

गुनाहगार बन गया हूँ में तेरा

आज कुछ इस कदर हुआ है हशर मेरा
गुनाहगार बन गया हूँ तेरा

लफ़ज़ छोटे पड़ गए , तेरे ज़ख्मो के आगे
चीख बन शोर, सीने को चीर जाता है
अधीर् हुआ जाता है मन मेरा
गुनाहगार बन गया हूँ तेरा

माफ़ी नहीं कोई हिंसक प्रहार की
कुदरत कायदों में भी सुनवाई  नहीं गुहार की
मेरे कर्मो से , किसी को मिला जो आज अँधेरा
गुनाहगार बन गया हूँ तेरा

समाज ने भी उड़ाई, इस कृत्य की जो खिल्ली
आस पड़ोस सब की नजर, कचोट रही थी मुझको
गुनाहगार बन गया हूँ तेरा

कोई पहली बार ना था जो माफ़ हो जाता
मेरा खुद का जमीर, मुझे है खा रहा जो
गुनाहगार बन गया हूँ तेरा

रब्बा तूने क्यों मेरा, ह्रदय पत्थर सा है बनाया
मेरा मन, फूलो की कोमलता समझ ना पाया
जाने अनजाने , नफ़रत ना आ मुझे है घेरा
गुनाहगार बन गया हूँ तेरा

# शुक्रिया सहकर्मियों एहसास जो दिलाते हो तुम
    मेरे बुरे कर्मो को, अच्छे से आइना दिखाते हो तुम

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