शनिवार, 21 मई 2016

वियोग की पीड़ा

तिनका तिनका जोड़ बुना था आशियाना
घर का एक चिराग बुझते ही उजड़ गया

वियोग की पीड़ा से माँ का दिल रो पड़ा
हाय रे किस्मत, अधेड़ उम्र में बाँझ हो गई
हंसती खेलती मेरी कोख़, काल ग्रस्त हो गई

किसे सुनाओ पीड़ा, ऐसा छुआ कोई कीड़ा
अमृत भरे जीवन में, जहर कोई खोल गया
पुत्र के वियोग में, माँ का दिल रो पड़ा

अँखियों में उम्र भर की बेबसी ने डेरा है डाला
23 बरस की ममता आज क्यों ढेर हो गई
किसकी नजर लगी मेरी गोद जो सुनी हो गई

रोती बिखलाती पूछती है आज वो माँ
किस के सहारे जिंदगी की लौ जगाऊँ में
सुनी दहलीज पर किसको लाल बुलाऊ में

वियोग की पीड़ा देख उस माँ की आज
जग सारा टूट पड़ा, दिलासा बांधने को
मगर गांठ बंधे कैसे जब धागा ही खो गया

कुदरत के इस लेख पर हर कोई घबराया है
जाने किस घड़ी माँ ने अपना लाल गंवाया है
हर पत्थर दिल ने, अपना सर झुकाया है

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बदनसीबी का ये आलम
मंजर है जो बेबसी का
किसी के जीवन में ना आए
जगमगाती कोख क्यों बुझ जाए

गुरुवार, 19 मई 2016

बस दिल है मेरा, मेरा ही हो गया

जग की रीत ऐसी निराली
जो सुनी एक बार दिल की बात
सब का गुनहगार मैं हो गया
बस दिल है मेरा, मेरा ही हो गया

कुछ हुआ आज, जो पहली बार था
ज़मीर था मेरा जो आज साकार हुआ
पर दुनिया की नजर में ये गुनाह हो गया
बस दिल है मेरा, मेरा ही हो गया

धड़कनें मेरी कुछ इस कदर, बहक गई
उसके प्यार की खुशबू से ज़िन्दगी महक गई
फिर क्यों ज़माने में हाहाकार हो गया
बस दिल है मेरा, मेरा ही हो गया

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शुक्रिया उस दिल का,
मेरी भावना जो दिल की
सरांखों पे बिठा गया
इनकार कर के भी
इक़रार से कह गया
उसका तो पता नहीं
मेरा दिल दिल रह गया

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उम्र भर ज़िन्दगी कठपुतली बनी रही
जो दिल की सुनी तो अपनी हो गई

मंगलवार, 17 मई 2016

शब्दों के आंसू

पत्थर से भी वजनदार हो गया
उसके जीवन में मेरा किरदार

अब मेरी हर कहानी उसके लिए
सिर्फ एक लफ़्ज भर हो गई है

कुछ ओह आह की दाद दिया करता है
मेरी हर बात पे इरशाद किया करता है

मायने नहीं उसको मेरी कविताओं के
एक भूली बिसरी याद समझ भुला देता है

मेरी बातें दिल से ना लगे, इसलिए रो देता है
जितनी भी आरजू करूँ, आंसुओ से धो देता है

जब हूँ ही नहीं, उसके जीवन का किरदार
फिर क्यों तानों से जख़्म दिया करता है

जब भी कोशिश करता हूँ आगे बढ़ने की
फिर उस दोराहे पर, ला दिया करता है

कुछ दर्द बांटने की थी जिस से ख्वाहिश
वो ही आंसुओ में डुबो दिया करता है

कमजोर दिल/जिगर भी क्या चीज है
समझने को तो सबके लिए अजीज है

पर ये भी इस समाज की ही तमीज़ है
व्यवहारिक दुनिया में हम सिर्फ नाचीज है

रविवार, 15 मई 2016

सन्तान।।

माँ और बाप दोनों की
आन होती है सन्तान
बेटी हो या बेटा
दोनों पर होता है मान

जगत चाहे भेद करे हज़ार
माँ बाप का होता एक सा दुलार

कड़वे शब्द बोलता हूँ