रविवार, 17 मई 2015

खिल गया वो मेरे मन में फूल की तरह

खिल गया वो मेरे मन में फूल की तरह

बस डर है इतना
मुरझा ना जाना कहीं
उस फूल की तरह

खिल गया वो मेरे मन में फूल की तरह

खुशबू से तो जग महकेगा तेरी
पर किसी की झोली ना जाना
उस फूल की तरह

खिल गया वो मेरे मन में फूल की तरह

आँखों से तो सब निहारेंगे बेशक तुझे
पर किसी के चरणों की भेंट ना बनना
उस फूल की तरह

खिल गया वो मेरे मन में फूल की तरह

फूल से फल बन, ज़िंदगी को महकाना
चंद रोज में तन्हा ना कर जाना
उस फूल की तरह

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