खुशबू बन कर जिस्म से लिपट गया वो
एक स्पर्श से, छुईमुई सा सिमट गया वो
चंद लम्हें जो मांगे उनसें, वो गुलाबी हो गए
सुर्ख आँखों से देखा तो, अंदाज नवाबी हो गए
शब्द नहीं निकले, होंठ जो फड़फड़ाने लगे उनके
एक इजहार ए मोहब्बत थी, होश फाख्ता थे सुनके
रिश्ता बुनते है वो इस तरह, दुनिया को ख़बर
जिसके दरमियाँ हो रिश्ता, बस दो वो ही बेख़बर
पढ़ लेता है आँखें, जालिम ज़माना उनसें पहले
कोई तो बहाना मिले ए खुदा, जो दिल की बात उनसें कह लें
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गुस्ताख़ हो बेशक दिल ये मेरा
पर कोई कसूर कम ना था तेरा
जो तू कातिल सा मुस्करा जाता है
बैठे बैठे मेरा सब, ठग ले जाता है
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