खामोश रह कर यूँ सताया ना कर
बोझ दिल का अकेले उठाया ना कर
आज होता नहीं आंसुओ का किसी पर असर
हर कोई अपनी धुन में सबको अपने सिवा किस का फिकर
तू यूँ ही रुलाता है अपना सीना
बड़ा मुश्किल है इस जग में जीना
जाने किस ने किस किस से क्या क्या है छिना
रस्में अदायगी और भी है, रिश्तों के समुन्दर में
कोई महबूब ही नहीं, साथ निभाने को
बाहें खोल, दरवाजे खुले थे जिनके लिए
वो किसी तंग गली से, आँचल समेट निकल गए
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