सोमवार, 25 मई 2015

जाने क्यों

जानें क्यों उसको कुछ तो है गम
फिर नजर आई उनकी आँखें नम

यूँ ही बरस जाता है वो बिन बरसात सा
भिगो जाता है मेरा मन, उसकी करुणाइ से

डरता नहीं जो दिल कभी किसी ज़ख्म और चोट से
मोम सा पिघल गया, क्यों उसके आँखों की मायूसी से

कोई गुनाह तो मुझ नाचीज से हो गया
इसलिए वो बंद आँखों से ज्यों रो दिया

आलम तन्हा रोज रोज मुझ से सहा जाता नहीं
खुशियो से डरता है मेरा मन, दर्द से घबराता नहीं

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कड़वे शब्द बोलता हूँ