कुछ इस तरह मतलब का हो गया संसार
बस एक मतलब है जरूरी ना की नफरत ना प्यार
अँधा हो गया है इंसान , चमक की दौड़ में
फीके पड़ गए रिश्ते, ऊँचा उठने की होड़ में
साँसों की जरूरत से ज्यादा, जिस्म की ख्वाहिशें
पेट की भूख से अधिक, इंसान की फरमाइशें
भरोसा बन गया है, ऊंचाइयों का पायदान
बेशक अंदर से टूट गया हो वो इंसान
चुपके जो तन्हाई है सीने में, सिक्को की खनक से दबा दी
जो ज़मीर करता था वसूलो की बातें, आज उसकी रूह रुला दी
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