बरस बाद आज वो आये हमारी गली
मेरे मोहल्ले की हर कली, महक चली
नजरें थी उनकी मेरे मकान पर
फ़िज़ा मुस्कराई सुन्सान घर की शान पर
पर उसे नजर ना आई कोई हलचल मेरे मकान पर
मोहल्ला भर पूछा मेरा पता और ठिकाना
पर किसी ने भी उसे था ना बताना
दूर कही था चला गया वो
अब जी भर उसकी यादों पागल हो
वो दिन आज भी लिखा उस चोराहे पर
तेरे इनकार से वो चला गया था दो राहों पर
एक मौत थी एक थी ज़िन्दगी
ज़िन्दगी तुम थे जिसने ठुकरा दिया
मौत को उसने गले लगा लिया
कितनी थी में पागल जो दिल की बात कह ना पायी
मोहब्बत में कभी ने मिले किसी को दिलबर की ऐसी रुस्वाई
इतना ही वो भी कह पायी
उसकी साँसों ने छोड़ी उसकी कलाई
आज फिर इस मोहब्बत ने
एक कहानी अपने हिस्से है पाई
# रब्ब क्यों दिल देता है
देता है तो फिर क्यों
दिल के बदले जिंद लेता है
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