सोमवार, 5 जनवरी 2015

कुछ टूटे गीत

किस कदर वो आज टूट गया
जैसे कोई अपना छूट गया हो

बहुत रुलाया उनकी आँखों ने
मेरे मासूम दिल को

उनसे दुःख बताया ना गया
हमसे स्नेह जताया ना गया

पूछ सके ऐसा कोई हक़ ना था
वो बता भी देते दर्द से फुरसत का वक़्त भी ना था

उनकी चुभती आँखें सीने में घर कर गयी
मेरी तो रूह भी डर गयी

और मुझ से सहा नहीं जाता
बिन पूछे भी रहा नहीं जाता

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कड़वे शब्द बोलता हूँ