शनिवार, 24 जनवरी 2015

शायरी

हर वक़्त मुझे तेरा इन्तजार है रहता
तू सामने है गर दिल बेकरार है रहता
तेरे आने से पहले जाने का गम सताता है
तू नहीं आता।, तेरी जगह सीना दर्द भर ले आता है

तेरी नजरों में
बेशक में
बेपरवार् हूँ
पर सही मायनो में
में ही तेरे हुस्न का कद्रदान हूँ

रात नशीली ना हो
इसलिए तेरी आँखों से पीते नहीं
गर क्या करे इस दिल का
बिन पीये आँखों के जाम
लगता है हम जीते ही नहीं

05 दिसंबर 2009 का पन्ना

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कड़वे शब्द बोलता हूँ