बहुत उदास है ज़िन्दगी
खुश में बहुत हूँ
पर मेरे अपनों से देखा नहीं जाता
कोई हँसता देखता है मुझे
अन्दर का दर्द समझ ना पाता
जमीन खिसका देते है मुझको चाहने वाले
मेरे ही घरोंदे की ईंटे चुरा जाते है
में जिनको पलकों पर हूँ बिठाता
वो मेरा चैन उड़ा जाते है
आज लिखने को कुछ खास नहीं
मेरे शब्दों में शायद मिठास नहीं
में छोड़ भी दूं ये दुनिया
किसी के याद करने की आस नहीं
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