किस्से और भी है मेरे ज़हन में
सुनाया मुझ से अब जाता नही
तू इस कदर रो पड़ा दिल भर के
मुझे से कोई आंसू दिखाया जाता नहीं
अंदर से टूटा हूँ में कांच की तरह
तुझे चमक नजर आती टूटे दिल की
मुझे है की टुकड़ो की चुभन ने है मारा
अश्क़ बहाये तो भी ये जाता नहीं
रंजिश होगी शायद जो शरमाता नहीं
दर्द है ज़ालिम बड़ा
पीड़ बिन भुलाता नहीं
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