सोमवार, 30 मार्च 2015

लेखक गैर जिम्मेदार

बहुत ही गैर जिम्मेदार होता है लेखक
वो अपनी बात कागज पर उतार देता है
पर जो भी पढता है उसका दर्द उधार लेता है

उसकी उदासी किसी और चेहरे को उदास कर जाती है
वो तो गुबार निकाल मुस्करा जाता है
कोई और लिखे से घबरा जाता है

उसके हर संस्करण से किसी के अरमान झलक जाते है
कोई ना कोई चेहरा, उसकी लपटो में आ ही जाता है

शायद इसीलिए वक़्त दर वक़्त लेखक के सम्मान की समाज में हानि हुयी है।। पहले लेखक को जितने सम्मानपूर्वक देखा जाता था उतना अब नहीं रहा।।

मुझे भी सुधार की आवशयकता है मुझे करना होगा की अपने अंदर के जहरीले तत्व समाहित कर सिर्फ अच्छी बातें प्रवाहित करू।। ऐसा संकल्प लेना मुश्किल है पर में भरसक पर्यत्न
करूँगा।।

सुप्रभात।।

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