सोमवार, 30 मार्च 2015

अरमानो की बहती धारा

मुश्किल हुआ रोकना उन कदमो को
जो बहक चले थे हवा के ठन्डे झोंको से

बरसती बूंदों से भीग गया था मन मेरा
ठिठुरते मौसम से, ठण्ड हुआ था तन मेरा

धड़कते इस दिल को बहुत था समझाया
इस रास्ते पर सिवा गम किसी ने कुछ ना पाया

इस जानलेवा इश्क़ ने हर दिल को है रुलाया
मोहब्बत का हर लम्हा, दर्द ए गम से है चुकाया

अभी वक़्त है संभल जा क्यों मचलता है
ये इश्क़ है हवा के झोके से ही बदलता है
ठंडी हवा थी जो ये अग्नि बन जल उठा

शुकराना है उस रब्ब को, जिसने मुझे कमजोर बनाया
मैंने अपने अरमानो को, अक्सर है दुनिया से छुपाया

लौट आना उन राहों से आसान नहीं होता
कुछ लम्हें तो दिल भी भर भर कर यूँ रोता

आज सा दिन , ए ज़िन्दगी दोबारा ना लाना
मेरे अरमानो को उन्माद के शिखर से बचाना

1 टिप्पणी:

  1. दिल तो कहता है कि छोड़ जाऊं ये दुनियां हमेशा के लिए फिर ख्याल आता है कि वो नफरत किस से करेंगे मेरे चले जाने के बाद..

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कड़वे शब्द बोलता हूँ