शनिवार, 14 मार्च 2015

बुरा अक्स जिसका तेरे लिए । वो शख्स हूँ में।।

सब के लिए है जो बुरा
वो शख्स हूँ में

हर चाहत के लिए है जो अधूरा
वो शख्स हूँ में

समेट लेता है गम सारे
वो शख्स हूँ में

बंद आँखों से देख लेता है दर्द
वो शख्स हूँ में

गर्मी के मौसम में हो जाता है सर्द
वो शख्स हूँ में

बन्द कमरो में है रोशन सितारा
वो शख्स हूँ में

उम्मीदों से भरा है जिसका दामन
वो शख्स हूँ में

कुदरत से खफा है जिसका मन
वो शख्स हूँ में

मानवता से भरा है जिसका अक्स
वो शख्स हूँ में

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कड़वे शब्द बोलता हूँ