बुधवार, 18 मार्च 2015

आप से अच्छे बुरे का प्रमाण नहीं मांगता हूँ।।

दूर रहने की हिदायतें पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी क्योंकि आप एक छत के नीचे अजनबियों की तरह नहीं रह सकते। खैर छोड़िये।।

आप किसी एक व्यक्ति की परेशानी के कारण अपने जीवन के हिस्सों में घाव कर दें यह बिलकुल उचित नहीं होगा।। मेने जीवन की सार्थकता को समझने के इतने पर्यास किये है में अक्सर हर दिन से नया सबक लेने की कोशिश करता हूँ।। मेरी बातें नीरस हो सकती है पर निरर्थक नहीं है। आप जीवन को एक तो भरपूर जीने की कोशिश कीजिये।। में दिन में जाने कितने बार असहज महसूस करता हूँ।। एक दिन एक दोस्त की किसी हरकत से वो मेरे सामने असहज हो गया पर यकीन मानिए उनसे ज्यादा बुरा हाल मेरा हुआ।। मेने अपने अंतर्मन के द्वंद्व को नियंत्रण में रख कर उनको सहजता का अनुभव करवाने की को कोशिश की।। आज भी मुझे जब वो लम्हा याद आता है उस अलग सी अनुभूति को में शब्दों में ब्यान नहीं कर सकता।
मेरी इतनी हिम्मत नहीं आप मेरे सामने आकर बैठे और में आप से पहले बात शुरू कर दू, अंदर तूफ़ान उठ रहा होगा पर चेहरे के भाव से आप जान भी नहीं पाओगे। हाँ एक बार आप ने शुरुवात कर दी फिर आप को भी रोकना मुश्किल हो जाएगा।।
अच्छा और बुरा क्या है?

कुछ साल पहले जब मुझे सिर्फ अपने खोखले समाज के विचारो ने दिमाग को जकड रखा था तब मुझे भी लगता था जो ये समाज कहे वो ठीक है।। मगर धीरे अलग अलग धर्म, जाति और समुदाय के जीवन शैली को जाना तो इतना पाया की ठीक और गलत सब ने अपनी सुविधानुसार अपना रखें है।।

सब से बड़ा उदहारण आप को आजादी के वक़्त का देता हूँ तब लोगो की मानसिकता काफी संकृण् थी अगर कोई युवती किसी व्यक्ति से बात करती भी नजर आये उसका जीवन दुभर कर देते थे।। पर एक समाज के बड़े तबके की युवती अविवाहित गर्भवती हुयी तो
समाज के उन ठेकेदारो में से किसी ने उसे गोद लिया बेटी मानकर तो किसी ने उसके बच्चे का नाम दिया और इसी समाज ने स्वीकार भी किया क्योंकि वो लोग प्रभाव शाली थे।। आज ये चलन शिक्षित या उच्च मधमवर्गीय परिवारो में आ गया है । लेकिन निम्न मधम वर्ग उन्ही बंधनो में जकड़ा हुआ है।।
अरे दो इंसान आपस में एक दूसरे के विचारो से खुश है तो तीसरे को गलत क्यों लगता है।। कल को उनके फैसलो का दुष्प्रभाव या अन्य जो भी परिणाम हो वो उसके लिए उत्तरदायी है आप क्यों उन पर प्रश्न उठाते है। हाँ उनके कारण आप की निजता का कोई हनन हो तो बेशक वो गलत होगा। मेरी प्रार्थना है आप सब से खुद भी जीना सीखिये और दुसरो को जीने भी दें और जीना भी सिखाइये जिंदादिली से।।

शुक्रिया पाठको।।

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