मेरी बातें बेमतलब लगती हो चाहे ज़माने को मगर वक़्त बे वक़्त जीवन में उनको मेरी बातों के मायने समझ आ ही जाते है।। पहले अनुभव में लोग मुझे पागल से कम नहीं समझते।। पर धीरे धीरे जब वो मेरी जड़ो की और बढ़ते है एक कशिश सी खिंचती है क्योंकि में जो लिखता या कहता हूँ वो मेने जिया है यूँ ही कल्पनाओ के सागर से कोई लहर नहीं उठाता जो किसी दिल को छु जाए।
चलो खैर आज बात है अच्छे लोगो की क्या उनकी हैसियत रह गयी है समाज में
शून्य।।
जी बिलकुल सही कह रहा हूँ।
शून्य।।
यकीन नहीं आता एक बार दिल पर हाथ रखिये और कहिये कोई ऐसा काम नहीं किया आप ने जो आप के जमीर को गंवारा ना हो और आप को करना न पड़ा हो।। और जो ना करे उसे नाकारा इत्यादि पुरस्कारों से नवाज दिया जाता है।। आज के समय कमाना बहुत ही आवशयक हो गया है। और बिना जुगाड़ या गलत काम किये आप नहीं कमा सकते।। ईमानदारी के चूल्हे पर रोटिया सेकना बहुत मुश्किल हो चूका है। और जो ईमानदार नहीं उसे आप अच्छा कैसे कह सकते है।
और अच्छा व्यक्ति कभी अनैतिक तरीके से जीवन यापन की सोच भी नहीं सकता।।
और तो और ईमानदारी की नौकरी को करने में भी आप के अफसर आप से काफी गलत कार्यो की अपेक्षा रखते है। जो कि निंदनीय है। कभी किसी के हस्ताक्षर बदलना कभी कुछ कभी कुछ। और ना तो आप के पास विरोध के अधिकार होते है ना आप में इतना सामर्थ्य की आप मना कर सको।। आप का सिर्फ इतना स्वार्थ है की आप को नौकरी की आवश्यकता है।।
फिर आप सोचिये इस समाज में अच्छे लोग किसे चाहिए?
सिर्फ दो नंबरी आदमी को जरूर एक ईमानदार चाहिए उसके कमाए की रखवाली को।।
किसके लिए जन्नत बनायी है तुने एय खुदा, कौन है यहाँ जो गुनाहगार नहीं.
जवाब देंहटाएंकिसके लिए जन्नत बनायी है तुने एय खुदा, कौन है यहाँ जो गुनाहगार नहीं.
जवाब देंहटाएंजन्नत की ख्वाहिश नहीं
हटाएंज़मीन खिसका देते कुछ अपने
सारे अरमान मेरे
बन कर रह गए सपने