रविवार, 8 मार्च 2015

मेरे ज़ख्मो को सहलाते है:- जिया धड़क धड़क

जब भी वो पास आते है
मेरे ज़ख्मो को सहलाते है

परेशां देख मुझे
खुद भी घबराते है
एक सकूँ मिलता है
दूसरी फ़िक्र लगाते है
जो भी है बड़े भाते है
मेरे ज़ख्मो को सहलाते है

मेरी उदासी को
उसकी नजरें भांप जाती है
मेरे दर्द की आहट पर
दौड़े चले वो आते है
मेरे ज़ख्मो को सहलाते है

सपनो की दुनिया के किस्से सुनाते है
हक़ीक़त के गमो से दूर कहीं ले जाते है
कितनी भी बड़ी हो चोट मेरे दिल पे लगी
मेरे ज़ख्मो को सहलाते है
मेरे ज़ख्मो को सहलाते है
मेरे ज़ख्मो को सहलाते है

बस ये गुण उनके है
जो मेरे अवगुणों पर विजय पाते है
में फिर भी कुरेद देता हूँ, पर वो है कि
मेरे ज़ख्मो को सहलाते है
मेरे ज़ख्मो को सहलाते है
मेरे ज़ख्मो को सहलाते है

गुजारिश इतनी थी उनसे
इस कदर जो वो
मेरे ज़ख्मो को सहलाते है-3

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मेरे ह्रदय में घर कर जाते है
टूटे न घरोंदा, जो दर्द से बनाया है
मेने कांच से बने दिल को
तपती आंच पर, मोम सा पिघलाया है

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