शुक्रवार, 20 मार्च 2015

कल हो ना हो

हम बेहतर कल की उम्मीद में अपने आज अच्छे पल को भी जी नहीं पाते।। भागदौड़ की इस दुनिया में जिसके लिए भागदौड़ करते उन्हें ही वक़्त नहीं दे पाते।।

अगर पागलो की तरह मशीन बन  जीना ही जिंदगी है तो फिर क्यों संवेदनाओ से घिरा इंसान दुखी रहता है।। मशीन की तरह ही चलते रहना हो तो मशीन सा बिंदास क्यों नहीं जीते।।

जान मेरी कोई ले ले अगर
मेरी हजार दुआए उसके सदके

घटे दिल को कैसे लिखूं
पल पल मरते सांस कैसे कहूँ

सिसकती आहें में भला कैसे भरू
पत्थर दिल से नम आँखें कैसे करुँ
हल्की सी आहट से सहमा सा में डरु
टूटते चैन को, तस्सली कैसे बख्श दूं

उड़ती नींद की अंखियो से क्या सपने बुनू
मुठी में रेत सा फिसलते लम्हों से कैसे चुनु

कोई मेरे सीने से खंजर निकाल दें
उबलते मेरे लहूँ को, कोई ठंडी आहँ ........:'(

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कड़वे शब्द बोलता हूँ