सोमवार, 29 जून 2015

प्रंशसक होते है सितारे

हर रोज लिखता हूँ एक कहानी
आज कुछ ख़ास उसके लिए
जो प्रंशसक (झाँसी की रानी) है मेरी दीवानी

मेरा हर शब्द उसको प्यारा है
वो मेरे लिए एक ख़ास सितारा है

उसकी प्रेरणा से मेरा कलम यूँ मचलता है
कुछ लिखने को,

मायूसी होती है गर वो मेरी रचना पढ़ ना पाए
लिखे हुए शब्द , देख उसको मोती सा चमक जाएं

वो खुद का अक्स ढूंढता है मेरे शब्दों के पैमाने में
मैं खूब सजाता हूँ उसको, शब्द रस के मयखानों में

मीलों दूर रहता है वो, हौंसला बन पास आ जाता है
अपनी हल्की सी मुस्कान से, मेरा दिल छु जाता है

रब्बा सलामत रखना मेरे इस दीवाने को
कभी रुस्वा ना करना, शब्दों के मयखाने को

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तारीफ तेरी में दो शब्द जो कह ना पाया
समझना इतना,
मेरी हर तारीफ में तेरी तारीफ़ का है साया

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कड़वे शब्द बोलता हूँ