गुरुवार, 25 जून 2015

गुजार ले ज़िन्दगी बेशक चाँद लम्हें उधार ले

क्यों टूटा टूटा सा रहता है
गुजार ले ख़ुशी ख़ुशी ज़िन्दगी
बेशक चन्द लम्हें उधार ले

रोज आता नहीं वक़्त लौट कर
बस अफ़सोस रह जाता है जीने का
गुजार ले ख़ुशी ख़ुशी ज़िन्दगी
बेशक चन्द लम्हें उधार ले

तू पीछे भागता है उड़ती पतंगों के पीछे
कुछ कट जाती है तो कुछ उड़ जाती है
गुजार ले ख़ुशी ख़ुशी ज़िन्दगी
बेशक चन्द लम्हें उधार ले

मिट्टी के जिस्म को कांच का खिलौना बना दिया
जब चाहा जोड़ दिया तब चाहा खिलवाड़ किया
गुजार ले ख़ुशी ख़ुशी ज़िन्दगी
बेशक चन्द लम्हें उधार ले

किसी को हक़ नहीं , तेरी रूह को इस तरह रुलाने का
संग ज़िन्दगी तूने भी काटी रुस्वाई में, अकेला क्यों रहा बेवफाई में
गुजार ले ख़ुशी ख़ुशी ज़िन्दगी
बेशक चन्द लम्हें उधार ले

गुजार ले ख़ुशी ख़ुशी ज़िन्दगी
बेशक चन्द लम्हें उधार ले

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कोई साथ नहीं आएगा जब तू जाएगा
बस तेरा अक़्स ही तेरा साथ निभाएगा
आज तुझे वो जी भर तुझे हर लम्हा रुलाएगा
जब तू निकलेगा जहाँ से, वो नया जहाँ बसाएगा

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