आज उनकी तक़लीफ़ बन गया हूँ में
रह रह उनको सताता हूँ
वो बरस पड़ता है मेरी अनकही बातों पर
मायूसी भरा चेहरा मुझे भी रुलाता है
आज उनकी तक़लीफ़ बन गया हूँ में
सुर्ख आँखों से मुझे निहारता है वो
उम्मीद भरी नजरों से सीने में उतर जाता है
कुछ ना हासिल होने पर मायूसी से लौट आता है
आज उनकी तक़लीफ़ बन गया हूँ में
बदतर हो गयी मेरी वो बातें भी उनको
जिनसे कभी मुरझाया चेहरा चहक जाता था
बरसो से अडिग इमान बहक जाया करता था
आज उनकी तक़लीफ़ बन गया हूँ में
चंद साँसे है या तो यादों में ही गुजार लो
नहीं तो कुछ लम्हें हमारे
कुछ अपने जीवन पर वार दो
आज यहीं इस इन्तजार को मार दो
आज उनकी तक़लीफ़ बन गया हूँ में
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जीना हो गर तुम्हें, गैरो पर मरना छोड़ दें
अपने लिए जियो वो पल बेशक पल भर के हो
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