शनिवार, 20 जून 2015

ए बारिश॥

ए बारिश क्यों मेरे दिल का हाल सुनाती है
गली गली हर चोराहा बरस जाती है

दो दिलों की दास्तां, महफ़िलों में सुनाती है
दीवारो की बातें, मकानों से गुजर जाती है
ए बारिश क्यों मेरे दिल का हाल सुनाती है

ए बारिश, मेरे दिल का न यूँ बेहाल कर
थोड़ा तो बादलों की धड़कनो का लिहाज कर
ए बारिश क्यों मेरे दिल का हाल सुनाती है

ये ठंडी हवाए, सीने के दर्द को हवा दे जाती है
भूली बिसरी यादों को, उड़ने के पर दे जाती है
ए बारिश क्यों मेरे दिल का हाल सुनाती है

मुझे हो सके तो इतना डूब की उठ ना पाऊ
भड़कते दिलो से, कहीं दूर में चला जाऊ
ए बारिश क्यों मेरे दिल का हाल सुनाती है

# ए बारिश, फिर एक ऐसा कमाल कर
   मेरे जैसे मेरे दिलबर को भी बेहाल कर

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