शुक्रवार, 19 जून 2015

कुछ दिल से

जो व्यक्ति जीवन भर इस लिए सादगी से जिया हो की किसी के मन में उसके लिए नफरत ना हो। वो आज किसी के मन में खुद नफरत के बीज बो गया। इतना आसान नहीं होगा।

पहला दिन ही बहुत भारी पड़ गया था उसके लिए। बहुत बार कमजोर भी हुआ मगर फिर भी उसने हिम्मत बांधें रखी।

शायद कुदरत ने खुशियो से दूर रखने को ही मुझे जन्म दिया है जब कभी हंसी ख़ुशी जीवन गुजारने की कोशिश करता हूँ तो कोई ना कोई ऐसा बवाल आता है सारी खुशिया लूट ले जाता है। इस सादगी के चक्कर में हिटलर बन गया हूँ। लोगो की संवेदनाये मुझे कोमल बनाने की बजाये और कठोर बना देती है। शायद एक दोस्त का कहना की अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए चिल्लाता हूँ। ठीक वैसे अपने नरम ह्रदय को छुपाने के खातिर में भी बहुत कठोर हो जाता हूँ। फिर उम्र भर के पछतावे के सिवा कुछ नहीं मिलता। कुछ पल का आवेश ऐसे कदम उठा लेते है कि मीलों की तन्हाई डस लेती है।

आंसू तो निकलते नहीं मेरे पर हाल ए दिल उस मंजर सा होता है कि बरसो ये अंखिया बरस गयी हो। कोई पूछे ये काले घेरे क्यों है। काले घेरे दो ही कारण से होते है एक तो इंसान सोचता बहुत हो या जागता बहुत हो। यहाँ तो दोनों ही कारण है। हलकी फुलकी ज़िन्दगी को मेने अपने झूठे उसूलो की खातिर बहुत मुश्किल बना दिया।

मोहब्बत बन तो, तुझे पाना नामुमकिन था
अब नफरत बन तेरे दिल में बस गया हूँ

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कड़वे शब्द बोलता हूँ