रविवार, 7 जून 2015

शरीर की बातें शरीर ही जानें

जीवन में कुछ भी सत्य नहीं
शरीर की भाषा के सिवा
मगर हम इतना अदि हो चुके है
हमे किताबो व समाज द्वारा दिया ज्ञान सर्वोत्तम लगता है
जबकि सत्य है शरीर की भाषा से ऊपर कोई ज्ञान नहीं। आपकी सारी कहानी बयान करता है आपका शरीर॥
हालाँकि हमारी किताबें कुछ हद तक मानती है पर वो सिर्फ मतलब के लिए
यानि की जहाँ आप के तरक्की करने की बात आये वहां आप की कैसी शरीर की भाषा होगी आप को बताएँगे
में यहाँ उस की बात नहीं कर रहा
में उस शरीर की भाषा की बात करता हूँ जो प्राकृतिक है जिसे इस किताबी ज्ञान की वजह से हम अक्सर मानने से मना कर देते है

जैसे कि अब मेरा दिल कर रहा है बाहर बारीश है नहा लूँ॥
मगर यार दुनिया कहेगी पागल है और ये सोच दफ़न कर देते है शरीर की जरुरत को

इस शरीर की जितनी जरुरत आप पूरी कर पाओगे उतने ही सुखी और रोगमुक्त जीवन होगा॥ चाहे आप किसी एक जीव/इंसान को ऐसी आजादी देकर देखो
कुदरत ने हर समस्या का हल बनाया जो उसने दी
मगर हम इंसानो ने जो समस्या पैदा की उसका हल हमारे पास ही नहीं।
इसलिए खुद को समाज के पिंजरे से आजाद कर कुदरत के हवाले कर दीजिये फिर देखिये सुंदरता संसार की बढ़ जायेगी॥

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कड़वे शब्द बोलता हूँ