मंगलवार, 23 जून 2015

प्रेम व्यथा

आज एक जंगल की प्रेम कहानी सुनाता हूँ
वहाँ रहने वाली कोयल की व्यथा बताता हूँ

जंगल में एक भावुक कोयल ने पंछी से दिल लगाया
कोयल की सखी मैना ने उसका राज जंगल को बताया

कोयल का जीना हुआ है मुहाल, हर को कसीदे कस जाता है
पंछी भी लाचारी से बेबस, अपना दुःख किसी को ना जताता है

मैना तुम माना की हो बहुत चंचल, अपनी ही सहेली का राज भुनाया
इतना भी नहीं सोचा, तेरे बुरे वक़्त में एक उस कोयल ने ही साथ निभाया

हर राह पर उन्हें कुते भोंकते मिल जाते है, उनको प्रेम को पाप बताते है
भोंकने वाले तो भोंक जाते है, प्रेमी युग्म को ठेस पहुंचा जाते है

मैना की एक गलती ने, प्रेम को विष का प्याला बनाया
हँसते खेलते जोड़े को, दर्द का रास्ता है दिखाया

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खुद लूहलुहान हो जिस्म जिसका
वो भी ज़ख्म कुरेद जाता है

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