कोई मन
छू जाता है
में अक्सर
कदम चुराता हूँ
वो फिर कुछ
कशिश बनाता है
कोई मन
छू जाता है
बंधे रखता है
किसी बहाने से
खफा होता है
मेरी नजरें चुराने से
मिठास आती है
पास बैठ जाने से
कोई मन
छु जाता है
पलकें छपका कर
हामी भरता है
कहने से शायद
वो घबराता है
अंखियो से ही
अँखियाँ लड़ाता है
बस वो रिश्ता सा
बंध जाता है
कोई मन
छु जाता है
कोई मन
छु जाता है
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