शनिवार, 4 जुलाई 2015

तानो से क्यों नहीं ऊबते लोग

हम अगर दुनिया से अलग होकर या खुद का भी बैठकर वीडियो देखे तो शायद दिन में हर कोई एक दूसरे पर कई बार तंज कास जाता है। कुछ हद तक ताने जीवन में प्रेरणा का काम करते है लेकिन वो तब जब आप की खामियों के लिए दिए गए हो, ना की आप की खुशियो पर कसे गए हो। कुछ दिन पहले मेने एक सहकर्मी को इसके लिए बोला था कि आप दुसरो के व्यक्तिगत जीवन पर ताने या टिप्पणी ना करें उनको समस्या होती है। आज में स्तब्ध रह गया जब मेने देखा कि जिनके लिए मेने उस सहकर्मी से कहा आज वो ही उसकी तरक्की पर तंज कास रहे है

उदाहरण से समझाता हूँ सही समझ आएगा आप को

बरसात का मौसम था कच्चे रास्ते पर फिसलन भरी थी कुछ लोग वहां चाय की दूकान पर खड़े थे और आने जाने वालों का गिरने पर मजाक उड़ा रहे थे। अब हर चीज की सीमा होती है कोई बुजर्ग सज्जन खड़े थे उन्होंने उन्हें मना किया आअप मदद की बजाए उन लोगो पर हंस रहे हो। आप को मदद करनी चाहिए ।
बुजर्ग की बात नागवार गुजरी इसलिए वो युवा भी उस रास्ते से निकल पड़े और जैसा सब के साथ हो रहा था वो भी गिर पड़े॥ अब जो खुद कुछ मिनट पहले गिर सम्भले थे वो जोर जोर हंसने लगे।

बुजर्ग जो वहां खड़ा देख रहा था उसके पास शब्द नहीं थे। क्योंकि नैतिकता का स्तर इतना गिर चूका है कि हम आज स्वयं के लिए जीते है। स्वयं को खरोंच बर्दाश्त नहीं दूसरे की चाहे जान निकल जाए पसंद नहीं॥

मेरे तो ये ही प्रार्थना है सब मित्रो से कि हंसी मजाक बुरा नहीं लेकिन किसी की व्यक्तिगत खामी को निशाना बना कर मजाक करना/तंज कसना शायद ठीक नहीं क्योंकि जब वो ही लोग आप को निशाना बनाएंगे आप अपने आप से बाहर हो जाओगे। और ज़िन्दगी को सुलझाने की बजाए उलझ कर रह जाओगे॥

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एक दिन फैंकता रहा कीचड़ हर राहगीर पर
शाम को देखा तो में भी कीचड़ हो गया था

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कड़वे शब्द बोलता हूँ