मोहब्बत बेइंतहा
वो नासूर हो गई
मेरी ये ही खता
मेरा कसूर हो गई
तू बेवफा है इतना कह
वो मुझ से दूर हो गई
उसकी दरियादिली और
मेरी बेवफाई मश्हूर हो गई
कसम से वो आठ पहर में
कुछ घडी तो हंसाता है
बाकि लम्हें बस रुलाता है
उम्र भर दिल में रखने का वादा करता है
पर जाने क्यों, सब से कहने से डरता है
उसूलों से बंधा है इस कायदे भरी दुनिया के
बस लम्हों में जीता है, उम्र भर के बोझ तले
#
पागल हो गया है दिल, कुछ भी लिख देता है
कभी अपनी किस्मत तो कभी उसकी तक़दीर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें