शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

फूलों सा हुआ आज वो मेहरबान मेरी ज़िन्दगी खुशबू से महका दी

फूलों सा हुआ आज वो मेहरबान
मेरी ज़िन्दगी खुशबू  से महका दी

रोते हुए गुजरा करते थे जो दिन
आज मंद मंद मुस्काने में गुजर जाते है
फूलों सा हुआ आज वो मेहरबान
मेरी ज़िन्दगी खुशबू  से महका दी

कभी वो अपनी बातों से, कभी उनकी नजरों से
ज़िन्दगी को मेरी, एक नयी लौ मिल जाती है
फूलों सा हुआ आज वो मेहरबान
मेरी ज़िन्दगी खुशबू  से महका दी

इस अधूरे इंसान संग जब ज़िन्दगी बिताने की बात करते है
मेरी अनसुलझी ज़िन्दगी पटरी पर सवार हो जाती है
फूलों सा हुआ आज वो मेहरबान
मेरी ज़िन्दगी खुशबू  से महका दी

रब्ब बख्श दे नेमत उनको भी, मेरे अधूरे जीवन में रौनक लाये
दामन उनका भी खुशियो से भर जाए, जीवन खुशबू महकाए
फूलों सा हुआ आज वो मेहरबान
मेरी ज़िन्दगी खुशबू  से महका दी

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चन्द दोस्त बनाना तुम इस तरह
तुम्हारे जिस्म का हिस्सा हो जिस तरह
फिर देखना ये ज़िन्दगी
कितनी छोटी हो जाएगी
तुम और मांगोगे रब्ब से
और ये घटती जायेगी

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