शनिवार, 27 दिसंबर 2014

जाने क्यों बंधन उनको भी है बंधन हम को भी है

नजरें हमारी एक दूसरे से टकरा लौट आती है
जाने क्यों
बंधन उनको भी है बंधन हम को भी है

दो कदम वो बढ़ाता है दो कदम में बढ़ाता हूँ
अगले पल चार कदम पीछे खींचे चले आते है
जाने क्यों
बंधन उनको भी है बंधन हम को भी है

हामी भरे बैठे है दो पंछियो के दिल
उड़ने की मुश्किल उनको भी  है
उड़ने की मुश्किल हमको भी है
जाने क्यों
बंधन उनको भी है बंधन हम को भी

हलचल सी होती है सीने में जब तुम पास आते हो
दूर जाने की मुश्किल तुमको भी है और हम को भी है
जाने क्यों
बंधन उनको भी है बंधन हम को भी है

तोड़ दिए दिल के रिश्ते नाते सब हमने
अब कसक उनको भी है और हम को भी है
जाने क्यों
बंधन उनको भी है बंधन मुझ को भी

#कब तलक इस ज़मीन पर
समाज की ख़ातिर
दिलों के क़ारोबार यूँ ही उजड़ते रहेंगे

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कड़वे शब्द बोलता हूँ