सोमवार, 29 दिसंबर 2014

मुश्किल भरा है मेरा कल चल और कही ले चल

सोचता हूँ तुझे
हर पल
मुश्किल भरा है मेरा कल चल और कही ले चल

संजीदा है मोहब्बत मेरी
पर भारी ये जुदाई के पल
मुश्किल भरा है मेरा कल चल और कही ले चल

रस्ते चुनें जो वफ़ा ए यार के
कश्मकश में है गुस्ताख़ ए दिल

मुश्किल भरा  है मेरा कल चल और कही ले चल

बढ़ता है हर सांस में खुमार यार का
मुझे तो बस चाहत है तेरी
नहीं जानता अक्षर प्यार का
मुश्किल भरा है मेरा कल चल और कही ले चल

हवा के पीछे क्यों भागता मेरा मन
इश्क़ में दिल टूटता है छन छन्
मुश्किल भरा है मेरा कल चल और कही ले चल

# बेबस होता है हर किसी का दिमाग
   जब उठती है दिल में इश्क़ की आग

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कड़वे शब्द बोलता हूँ