रविवार, 1 फ़रवरी 2015

चुनिंदा ट्वीट्स

बचपन सा खेलते आज भी बहुत है
गर हम अपने दिल और दिमाग से
कम्बखत अक्सर दिमाग जीत जाता है

बचपन के खिलोनो से रोना अच्छा था
कोई कोना नहीं ढूँढ़ते थे गम छुपाने को

कोई तो हँसता है मेरे दर्द पे
इसी सकूँ से दर्द सह लेते है

तुम्हे मजा आता है
अगले का दिल जला जाता है

तुम यूँ जो आते हो
हमे जलाते हो
और फिर जले पर नमक लगा
थोडा मुस्कराते हो

वो कहते है मुझे अब उनकी जरूरत नहीं
नहीं जानते जरूरते अक्सर पूरी होने पर खत्म हो जाती है
और वो  मेरी जरूरत नहीं जूनून है दिल का सकूं है

वो कहते है तुम मौसम सा बदल गए
पहले उनको ना बदलने की परेशानी थी

वो आती है
इतराती है
बल खाती है
जुल्फ झटक
निकल जाती है

कड़वा होकर इतना पसंद आता हूँ
मीठा हुआ तो कही रूह में ना बस जाऊ

आज समस्या है मेरी
हो गया गर प्यार
कल हो जायेगी तेरी

#dp
बदल दो ये तस्वीर तुम्हारी
जिसने नींद लूटी हो हमारी

समंदर नहीं में 100 नदिया समा जाऊ
इश्क़ का प्यासा हूँ
ठंडी हवा से तृपत् हो जाऊ

उनसे परेशानी का सबब पूछते है
कैसे कहें की इश्क़ से डर लगता है

तेरे मीठेपन से परहेज है मुझे
ये मेरे कड़वेपन का एहसास दिलाता है

आज मेरे शेर का तू शिकार है
शायरी ही मेरा एक विकार है

शब्दों का मायाजाल बुनता हूँ
तुम सा नेक दिल निशाना चुनता हूँ

रब्ब क्यों दिल देता है
देता है तो फिर क्यों
दिल के बदले जिंद लेता है

आज लिखने को कुछ खास नहीं
मेरे शब्दों में शायद मिठास नहीं

बरसते है वो हम पर इस गुनाह से
की हम ने इश्क़ में चोट खायी है

बेखबर है कि बेरहम
दर्द से मेरे जो अन्जान है

_
तेरी बातों से दर्द की आहट होती है
लगता है तूम तन्हा ही बहुत रोते हो

ख़ुशी कहाँ रहते हो तुम
बरस बीत गए
तुम्हे देखा नहीं

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कड़वे शब्द बोलता हूँ